मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस संबंध में असमंजस की स्थिति सोमवार को भी बनी रही। दो दिन पहले ही सत्तारूढ़ भाजपा नीत महायुति ने विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल कर कांग्रेस नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) के सत्ता हासिल करने के सपने को चकनाचूर कर दिया था।
सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में शिवसेना के इस बात पर जोर देने के कारण विलंब हो रहा है कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहें।
सूत्रों ने बताया कि 20 नवंबर को हुए चुनाव के नतीजे शनिवार को आने के बाद ऐसी चर्चा थी कि नए मुख्यमंत्री को सोमवार तक शपथ दिलाई जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सत्तारूढ़ महायुति इस बात पर आम सहमति नहीं बना पाई कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
ऐसी अटकलें थीं कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी की शादी के ‘रिसेप्शन’ में शामिल होने के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचे देवेंद्र फडणवीस, शिंदे और अजित पवार मुख्यमंत्री पद पर गतिरोध को सुलझाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं।
शिवसेना प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने ‘बिहार मॉडल’ का हवाला देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना चाहिए, जहां सत्तारूढ़ ‘महायुति’ ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की है।
हालांकि, भाजपा नेता प्रवीण दरेकर ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस की वकालत करते हुए कहा कि वह राज्य का नेतृत्व करने के लिए सबसे सक्षम उम्मीदवार हैं।
एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना, भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के ‘महायुति’ गठबंधन ने हाल में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 में से 230 सीट जीतकर सत्ता बरकरार रखी, जबकि विपक्षी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) को सिर्फ 46 सीट मिलीं।
भाजपा द्वारा सबसे अधिक 132 सीट जीतने के बाद फडणवीस के मुख्यमंत्री पद का दावेदार होने की अटकलें लगने लगीं। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीट पर जीत हासिल की। अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 41 सीट पर जीत दर्ज की है।
फडणवीस के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की चर्चा के बीच, शिवसेना के विभिन्न नेताओं ने बयान दिया कि शिंदे को पद पर बने रहना चाहिए, क्योंकि मुख्यमंत्री के रूप में भारी जीत उनके नेतृत्व में ही मिली है।
म्हस्के ने कहा कि शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना चाहिए। लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि शिंदे को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे बिहार में भाजपा ने संख्याबल पर ध्यान नहीं दिया और जद (यू) नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। महायुति (महाराष्ट्र में) के वरिष्ठ नेता अंतिम फैसला लेंगे।’’
म्हस्के ने महाराष्ट्र की स्थिति की तुलना हरियाणा से की, जहां भाजपा ने हाल में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा था।
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में चुनाव शिंदे, फडणवीस और अजित पवार के नेतृत्व में लड़ा गया था। यह दर्शाता है कि गठबंधन के नेतृत्व का सम्मान किया जाना चाहिए।’’
रविवार को निवर्तमान सरकार में मंत्री दीपक केसरकर ने एकनाथ शिंदे से मुंबई में उनके आवास पर मुलाकात की थी और उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की वकालत की थी।
केसरकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘शिवसेना विधायकों का मानना है कि शिंदे को पद पर बने रहना चाहिए, क्योंकि उनके नेतृत्व में महायुति ने चुनावों में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया।’’
भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि पार्टी जल्द ही अपने विधायकों की बैठक करेगी। दानवे ने कहा, ‘‘राकांपा ने अजित पवार (विधानसभा में अपने नेता के रूप में) को चुना है, और इसी तरह शिवसेना ने भी (शिंदे को अपने नेता के रूप में चुना है)। भाजपा जल्द ही अपने विधायकों की बैठक बुलाएगी। यह स्पष्ट है कि भाजपा मुख्यमंत्री का पद चाहती है।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी की आंतरिक चर्चा के बाद अंतिम निर्णय के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को सूचित किया जाएगा।
फडणवीस ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद को लेकर किसी भी विवाद से इनकार करते हुए कहा था कि महायुति के नेता मिलकर इस मुद्दे पर फैसला करेंगे।
इस बीच, विधानमंडल के एक अधिकारी ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि यदि 26 नवंबर तक नई सरकार नहीं बनी, तो राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।
छब्बीस नवंबर को 14वीं राज्य विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि वास्तव में, भारत के निर्वाचन आयोग के अधिकारियों द्वारा रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को राज्य विधानसभा के नव-निर्वाचित सदस्यों के नामों के साथ राजपत्र की प्रतियां सौंपे जाने के साथ ही 15वीं विधानसभा पहले ही अस्तित्व में आ चुकी है।
अधिकारी ने कहा कि राज्य विधानसभा के परिणामों के प्रकाशन के बारे में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 73 के अनुसार, ‘‘निर्वाचित सदस्यों के नामों की अधिसूचना प्रस्तुत किए जाने के बाद, यह माना जाएगा कि सदन का विधिवत गठन हो गया है।’’
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे को सोमवार को यहां पार्टी विधायकों की बैठक में शिवसेना (उबाठा) विधायक दल का नेता चुना गया।
शिवसेना(उबाठा) के वरिष्ठ नेता अंबादास दानवे ने पार्टी विधायकों की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि पूर्व मंत्री भास्कर जाधव को राज्य विधानसभा में पार्टी समूह का नेता चुना गया, जबकि सुनील प्रभु को पार्टी का मुख्य सचेतक नामित किया गया।
पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने हालिया राज्य विधानसभा चुनाव में वर्ली निर्वाचन क्षेत्र से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मिलिंद देवरा को 8,801 मतों से हराया।
हालांकि, 2019 के चुनाव की तुलना में इस बार आदित्य ने कम मतों के अंतर से जीत हासिल की। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने 67,427 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
पिछले सप्ताह हुए चुनाव में शिवसेना (उबाठा) के 20 उम्मीदवार विधायक चुने गए थे।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप