‘जुझारू’ भुजबल ने अपने नेता अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल पर साधा निशाना

‘जुझारू’ भुजबल ने अपने नेता अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल पर साधा निशाना

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  • Publish Date - December 17, 2024 / 10:23 PM IST,
    Updated On - December 17, 2024 / 10:23 PM IST

मुंबई, 17 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने महाराष्ट्र की नयी ‘महायुति’ सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर मंगलवार को पार्टी प्रमुख अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल सहित अन्य नेताओं की खुलेआम आलोचना की और कहा कि वे वरिष्ठ सदस्यों को ‘दरकिनार’ कर रहे हैं और बिना परामर्श के निर्णय ले रहे हैं।

भुजबल ने उत्तर महाराष्ट्र के अपने गृह जिले नासिक में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों से मुलाकात की और बताया कि क्यों उन्हें देवेंद्र फडणवीस नीत मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।

महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार 15 दिसंबर को नागपुर में किया गया, जिसमें 39 सदस्य शामिल हुए।

नासिक जिले के येवला से विधायक भुजबल (77) को पिछली महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिला था जबकि नयी सरकार में उन्हें जगह नहीं मिली।

भुजबल ने कहा, ‘‘लोग अभी भी भ्रमित हैं। मुझे मेरे लोगों ने चुना है और मुझे उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के पीछे के कारण बताने की जरूरत है। मैंने उन्हें सब कुछ समझाया। उन्होंने मुझसे कहा कि वे मेरे पीछे मजबूती से खड़े रहेंगे और मुझसे अनुरोध किया कि मैं विधानसभा न छोड़ूं। मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं उन्हें नहीं छोडूंगा।’’

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अहम नेता ने राकांपा प्रमुख अजित पवार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों पर वरिष्ठ नेताओं के साथ कोई चर्चा नहीं की।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले सात दिनों में अजित पवार के साथ कोई चर्चा नहीं हुई। मैं नागपुर (जहां राज्य विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है) से करीब 700 किलोमीटर दूर हूं, इसलिए मुझे नहीं पता कि वह कहां हैं और विधान भवन में क्यों नहीं हैं। आप उनसे पूछ सकते हैं।’’

अजित पवार जुलाई 2023 में अपने चाचा शरद पवार से अलग होकर पिछली महायुति सरकार में शामिल हुए थे। भुजबल ने अजित पवार पर चुनिंदा नेताओं को तरजीह देने और उनके जैसे वरिष्ठ सदस्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।

पूर्व में शरद पवार के करीबी रहे भुजबल उन राकांपा विधायकों में शामिल थे जो पहली महायुति सरकार में शामिल हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘शरद पवार (जो अब प्रतिद्वंद्वी राकांपा-एसपी का नेतृत्व करते हैं) भी हमसे कुछ हद तक मामलों पर चर्चा करते थे। शरद पवार से असहमत होने पर भी चर्चा होती थी। यहां कोई चर्चा या जानकारी साझा नहीं की जाती है। अंतिम क्षण तक किसी को कोई जानकारी नहीं होती। केवल अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ही सभी निर्णयों के बारे में जानते हैं। हमें नहीं पता कि लोकसभा या विधानसभा चुनाव के लिए किसे टिकट मिलेगा। निर्णय लेने की प्रक्रिया में हमारी भागीदारी शून्य है।’’

भाषा धीरज संतोष

संतोष