भर-भराकर गिरी 4 मंजिला इमारत, 19 लोगों की मौत, अब तक 33 लोगों को मलबे से निकाला गया

building collapses in-mumbai मुंबई के कुर्ला में सोमवार आधी रात चार मंजिला एक इमारत के ढहने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई...

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  • Publish Date - June 28, 2022 / 11:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:32 PM IST

मुंबई। building collapses in-mumbai : मुंबई के कुर्ला में सोमवार आधी रात चार मंजिला एक इमारत के ढहने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 14 अन्य जख्मी हुए हैं। इस इमारत को पहले ‘जर्जर’ घोषित किया गया था लेकिन बाद में ‘मरम्मत योग्य’ घोषित किया गया। घटना के बाद, नाइक नगर हाउसिंग सोसाइटी परिसर में स्थित चार में से एक अन्य इमारत को भी खाली कराया गया और उसे भी खतरनाक माना गया तथा बाद में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उसे गिरा दिया।

बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, 1973 में बनी इमारत के निवासियों ने मरम्मत कराने का बीड़ा उठाया था, लेकिन जाहिर तौर पर कोई मरम्मत नहीं हो पाई। दमकल, पुलिस, नगर निकाय के अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के दो दलों ने भी बचाव अभियान चलाया।एनडीआरएफ के उप कमांडेंट आशीष कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बचाव अभियान शाम करीब साढ़े छह बजे समाप्त हो गया, लेकिन मलबा हटाने का काम अभी भी जारी है।

सोमवार आधी रात से अब तक कुल 33 लोगों को मलबे से निकाला गया है। बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि घायलों में से चार का अब भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि अन्य को छुट्टी दे दी गई है। मलबे से निकाले गए लोगों को राजावाड़ी अस्पताल और सायन अस्पताल सहित नगर निकाय के अस्पतालों में ले जाया गया। उनमें से अधिकतर को दाखिल करने से पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों के लिए पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह सहायता की घोषणा की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनहानि पर दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो-दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की।

महाराष्ट्र के पर्यावरण एवं पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने घटनास्थल का दौरा किया। इस महीने महानगर में इमारत गिरने की यह तीसरी बड़ी घटना है। 23 जून को चेंबूर इलाके में एक दो मंजिला औद्योगिक ढांचे का स्लैब गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए थे। नौ जून को, उपनगरीय बांद्रा में एक तीन मंजिला आवासीय इमारत गिर गई थी, जिसमें 55 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए थे। सोमवार आधी रात जो इमारत गिरी, वहां पास की इमारत में रहने वाले सतीश क्षेत्रे अपने कमरे में मेहमानों के साथ बैठे हुए थे कि तभी उन्हें अचानक लगा जैसे भूकंप आ गया हो। जैसे ही उन्होंने महसूस किया कि उनकी इमारत के पास वाली इमारत गिर गई है उनके दिमाग में पहला विचार अपने परिवार के सदस्यों और मेहमानों को बचाने का आया।

उन्होंने कहा कि प्रभावित डी विंग की पूर्व और पश्चिम की ओर की साझा सीढ़ियां भी ढह गईं। पश्चिमी हिस्से की तीसरी मंजिल पर रहने वाले क्षेत्रे ने कहा कि साड़ियों का उपयोग करके एक रस्सी तैयार की गई और स्थानीय लोगों की मदद से उनके परिवार के सदस्यों और उनके कुछ मेहमानों सहित दस लोगों को बचाया गया। क्षेत्रे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘एक पल के लिए मुझे लगा कि हम नहीं बचेंगे लेकिन भगवान की कृपा से हम जीवित हैं।’

कुर्ला निवासी देवराज बड़िया अपने छोटे भाई रमेश के मिलने की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन मलबे से रमेश का शव बाहर निकाला गया। बीएमसी के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने कहा कि बीएमसी इस बात की जांच करेगी कि इमारत की श्रेणी कैसे बदली गई और ढांचे का आखिरी ऑडिट किसने किया था। इमारत को खतरनाक घोषित करते हुए मई 2016 में बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए गए थे। लेकिन सचदेवा एंड एसोसिएट्स से मिली ढांचे की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 30 जून 2016 को इमारत को मरम्मत करने योग्य श्रेणी में डाल दिया गया। चहल ने कहा, “हमने उनसे (निवासियों) से शपथपत्र लिया था कि वे आवश्यक मरम्मत करेंगे।”

अतिरिक्त निगम आयुक्त अश्विनी भिड़े ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मुंबई नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2013 से कई बार इस इमारत की मरम्मत कराने के लिए, फिर उसे खाली करने और गिराने के लिए नोटिस जारी किए। अधिकारी ने कहा, ‘‘ यहां तक कि नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ मुकदमा भी शुरू किया गया। बाद में, इमारत में रहने वाले लोगों ने संरचनात्मक ‘ऑडिट’ फिर से करवाया और भवन को मरम्मत के लायक होने की श्रेणी में डाला गया, लेकिन मरम्मत नहीं कराई गई।’’ भिड़े ने बताया कि बीएमसी द्वारा इमारत खाली करने की लगातार कोशिशों के बावजूद लोग वहां रहते रहे।