मुंबई, 15 दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने पिता की हत्या के लिए दोषी करार दिये गए 35 वर्षीय व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्वस्थ होने और सिजोफ्रेनिया से पीड़ित होने का संज्ञान लेते हुए जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने 12 दिसंबर को दिये आदेश में व्यक्ति को दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया और दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी अपील की सुनवाई लंबित रहने तक उसे जमानत दे दी।
अदालत ने कहा कि दोषी व्यक्ति शिक्षित है तथा उसे सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी थी और वह मनोविकार ग्रस्त दवाइयां ले रहा था।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मानसिक स्थिति की जांच से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वह लगातार अपने आप से बड़बड़ाता रहता है और उसका मनोभाव बदलता रहता है तथा उसकी वाणी में भी विशेष संदर्भ है, जो कभी सुसंगत तो कभी अप्रासंगिक होती है तथा उसकी निर्णय क्षमता भी प्रभावित होती है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘भारत जैसे देश में, जब लोग अभी भी मानसिक बीमारी के बारे में खुलकर चर्चा करने से कतराते हैं और इसे उजागर करने के बारे में खुले तौर पर नहीं सोचते हैं, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक कलंक है। इससे सामाजिक बहिष्कार या भेदभाव की आशंका पैदा होती है, यह मान लेना बहुत ज्यादा हो सकता है कि एक व्यक्ति, जिसने अपने पिता की हत्या की है और स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि वह इस कृत्य के लिए जिम्मेदार है, उसे किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी से पीड़ित माना जाएगा।’’
पीठ ने इससे पहले निर्देश दिया था कि पुणे की यरवदा जेल में बंद दोषी की मनोवैज्ञानिक जांच करने का निर्देश दिया है।
मनोवैज्ञानिक ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि दोषी सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त है।
पीठ ने दोषी को जमानत देते हुए उसकी बहन से एक हलफनामा पेश करने को कहा जिसमें अदालत को आश्वासन दिया गया हो कि वह अपनी मानसिक बीमारी का इलाज जारी रखेगा ताकि वह किसी और के लिए खतरा पैदा न करे और आवश्यकता पड़ने पर उसे मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थान में भर्ती कराया जाएगा।
इस व्यक्ति को 2015 में पुणे की एक सत्र अदालत ने पिता की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
भाषा धीरज रंजन
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