Mehul Choksi’s plea dismiss : मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उसे भगोड़ा आर्थिक घोषित करने के लिए दी गई अर्जी को चुनौती दी थी। चोकसी करीब 14,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में आरोपी है। न्यायमूर्ति सांरग कोतवाल की एकल पीठ ने कहा कि उसे ईडी की अर्जी में कोई खामी नजर नहीं आती।
अदालत ने कहा, ‘‘पहला, मुझे (आवेदन के) सत्यापन में कोई खामी नहीं दिखती और इसके अलावा भी मैंने पाया कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम की धारा-4 और धारा-3 की अर्हताओं को इस मामले में उचित तरीके से पूरा किया गया है।’’ चोकसी ने अपने आवदेन में दावा किया था कि ईडी की अर्जी में कई प्रक्रियागत खामिया हैं।
चोकसी ने अगस्त 2019 में विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि वह ईडी द्वारा दाखिल अर्जी पर सुनवाई करेगी जिसमें चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का अनुरोध किया गया था।
ईडी ने जुलाई 2018 में अदालत में अर्जी दाखिल की थी जिसमें चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी संपत्ति जब्त करने का अनुरोध किया गया था।
चोकसी ने दावा किया एजेंसी ने आवेदन जमा करने में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और इसलिए इसकी कोई वैधता नहीं है।
उच्च न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ईडी द्वारा दिया गया आवेदन भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम में तय प्रारूप के तहत जमा किया गया है।
न्यायमूर्ति कोतवाल ने टिप्पणी की कि एफईओ अधिनियम की प्रस्तावना महत्वपूर्ण है जिसमें उल्लेख किया गया है कि यह अधिनियम उन भगोड़ा आर्थिक अपराधियों के लिए है जो भारतीय अदालतों के न्यायाधिकारक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय न्याय प्रक्रिया से बचते हैं।
उच्च न्यायालय ने जनवरी 2020 को विशेष अदालत द्वारा पारित अंतिम आदेश पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति कोतवाल ने उक्त आदेश पर से बृहस्पतिवार को रोक हटा दी।