आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी के सांसद के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज

आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी के सांसद के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज

  •  
  • Publish Date - December 4, 2024 / 07:51 PM IST,
    Updated On - December 4, 2024 / 07:51 PM IST

अमरावती, चार दिसंबर (भाषा) आंध्र पुलिस ने वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सदस्य वी. विजयसाई रेड्डी और पार्टी के एक अन्य सदस्य वाई. वी. सुब्बा रेड्डी के बेटे वाई विक्रांत रेड्डी के खिलाफ ‘धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी, षड्यंत्र’ के जरिये अरबिंदो रियल्टी के पक्ष में बहुत कम कीमत पर काकीनाडा सीपोर्ट्स लिमिटेड (केएसपीएल) और काकीनाडा एसईजेड (केएसईजेड) लिमिटेड में हिस्सेदारी हासिल करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

अरबिंदो रियल्टी का नाम बाद में ऑरो इंफ्रा रखा गया था।

पूर्व मंत्री एवं वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता काकानी गोवर्धन रेड्डी ने आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि उनकी पार्टी के सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की वजह ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ है।

केएसपीएल के प्रमुख एवं प्रबंध निदेशक कर्नाटी वेंकटेश्वर राव द्वारा सोमवार को दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, उनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों की केएसपीएल में 41.12 प्रतिशत और काकीनाडा एसईजेड (केएसईजेड) में 48.74 प्रतिशत हिस्सेदारी को 2020-21 में 500 करोड़ रुपये से कुछ अधिक में अधिग्रहित किया गया था, जिनकी अनुमानित कीमत 3,600 करोड़ रुपये से अधिक थी।

आंध्र प्रदेश सीआईडी ​​द्वारा दर्ज प्राथमिकी में विजयसाई और विक्रांत के अलावा सरथ चंद्र रेड्डी (अरविंदो फार्मा लिमिटेड के गैर-कार्यकारी निदेशक), पीकेएफ श्रीधर एंड संथानम एलएलपी और अरबिंदो रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशकों और अन्य का नाम भी शामिल है।

शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया है कि राव से शेयर बेचने के लिए संपर्क करने वाले विक्रांत रेड्डी ने दावा किया कि यह “लेन-देन पूर्व मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी के लिए किया जा रहा था।”

वाईएसआरसीपी के नेता गोवर्धन रेड्डी ने संवाददाता सम्मलेन में शेयर हस्तांतरण को दो व्यक्तियों के बीच का लेन-देन बताया।

उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे एक राजनीतिक साजिश नजर आती है।

उन्होंने कहा, “स्पष्ट है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, (मुख्यमंत्री) चंद्रबाबू नायडू द्वारा खेले जा रहे खेल का हिस्सा है। अगर वे (अरबिंदो) अधिग्रहण करना चाहते थे, तो वे पूरी हिस्सेदारी हासिल कर सकते थे और बंदरगाह का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकते थे। केवल आंशिक हिस्सेदारी क्यों।”

भाषा जोहेब देवेंद्र

देवेंद्र