मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन ने मीडिया में गलत सूचना प्रसारित किए जाने पर निराशा प्रकट करते हुए अपने ब्लॉग में कहा कि अटकलों की पुष्टि जब तक ना हों, वे झूठी होती हैं।
बच्चन (82) ने कहा कि वह अपने परिवार के बारे में सार्वजनिक रूप से बहुत कम चर्चा करते हैं, क्योंकि वह निजता का सम्मान करते हैं और इसे बनाए रखने में विश्वास रखते हैं।
बच्चन ने लिखा, ‘‘अलग दिखने और जीवन में इसकी उपस्थिति पर विश्वास करने के लिए बहुत साहस, दृढ़ विश्वास और ईमानदारी की आवश्यकता होती है…मैं परिवार के बारे में बहुत कम बोलता हूं, क्योंकि वह मेरा क्षेत्र है और इसकी निजता मैं बनाए रखता हूं।’’
अभिनेता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस संदर्भ में यह टिप्पणी कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि इन दिनों सूचनाओं की समुचित पुष्टि नहीं की जाती है और अक्सर उनका इस्तेमाल वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए रणनीतिक रूप से किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अटकलें तो अटकलें ही होती हैं…वे बिना किसी सत्यता की जांच के अनुमान होते हैं। सत्यापन चाहने वाले अपने व्यवसाय और अपने पेशे के विज्ञापनों को प्रमाणित करने के लिए सत्यापन चाहते हैं…मैं उनकी अपनी पसंद के पेशे में रहने की इच्छा को चुनौती नहीं दूंगा…और मैं समाज की सेवा में उनके प्रयास की सराहना करूंगा।’’
अभिनेता ने सवालिया निशान के साथ साझा की जाने वाली सूचना का भी जिक्र किया है। बच्चन ने कहा कि प्रश्नवाचक चिह्न के साथ दी गई कोई भी जानकारी पाठकों के लिए एक जाल है।
अभिनेता ने कहा, ‘‘जब आप किसी जानकारी के आगे प्रश्नवाचक चिह्न लगाते हैं, तो आप न केवल यह कह रहे होते हैं कि लेख संदिग्ध हो सकता है…बल्कि आप गुप्त रूप से यह भी चाहते हैं कि पाठक उस पर विश्वास करे और उसे आगे बढ़ाए, ताकि आपके लेख को लोग आगे प्रसारित करें।’’
अभिनेता ने कहा, ‘‘आपकी विषय-वस्तु सिर्फ एक क्षण के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए तैयार हो जाती है…जब पाठक उस पर प्रतिक्रिया देते हैं तो वह विषय-वस्तु को आगे बढ़ाते हैं। प्रतिक्रिया सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है… यह जो भी हो, लेखन को विश्वसनीयता प्रदान करती है।’’
बच्चन ने इस तरह के तौर तरीकों के नैतिक निहितार्थों के बारे में भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में असत्य या संदिग्ध झूठ फैला दो….और आपका काम खत्म हो गया।
उन्होंने कहा कि इससे संबंधित व्यक्ति या परिस्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा होगा, उससे पल्ला झाड़ लो..आप अपनी अंतरात्मा की आवाज को दबा लो।
भाषा आशीष रंजन
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