अमरावती, 12 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ संदेश का मंगलवार को समर्थन किया। हालांकि, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का विरोध करते हुए इसे महाराष्ट्र की वैचारिक विरासत से अलग बताया।
चुनाव प्रचार से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में अजित ने दावा किया कि उनके भतीजे और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार युगेंद्र पवार की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह बारामती में रहना तक पसंद नहीं करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ संदेश का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि अगर भारत एकजुट रहेगा, तो सुरक्षित रहेगा।
अजित ने कहा, ‘‘इसमें (प्रधानमंत्री के संदेश में) कुछ भी गलत नहीं है। मुझे इसमें कोई मुद्दा नहीं दिखता। हम साथ रहेंगे, तो सबकी तरक्की होगी।’’
हालांकि, उन्होंने योगी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे से असहमति जताई।
अजित ने कहा, ‘‘(योगी का) ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारा उचित नहीं है। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में लोगों की सोच अलग है, लेकिन ऐसे बयान यहां नहीं चलते। मेरी राय में महाराष्ट्र में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कोई मायने नहीं रखता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा ज्योतिराव फुले और शिवाजी महाराज का राज्य है। महाराष्ट्र के लोग अलग हैं और वे अलग तरह से सोचते हैं। अगर कोई शाहू, शिवाजी, फुले और आंबेडकर की विचारधारा से भटकेगा, तो महाराष्ट्र उसे नहीं बख्शेगा।’’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) द्वारा पवार परिवार के गढ़ बारामती में युगेंद्र को मैदान में उतारने पर अजित ने कहा कि उनकी मां ने शरद पवार से परिवार में चुनावी मुकाबले से बचने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने (पत्नी) सुनेत्रा पवार को लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ खड़ा किया। इससे वह (शरद पवार) बहुत आहत हुए हैं। यही कारण है कि उन्होंने युगेंद्र पवार को मेरे खिलाफ उम्मीदवार बनाया है।’’
अजित ने दावा किया, ‘‘युगेंद्र की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है… वह बारामती आना तक पसंद नहीं करते हैं। उन्हें विदेश में रहना पसंद है। मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या हो गया है।’’
लोकसभा चुनाव में बारामती के हाई-प्रोफाइल मुकाबले में अजित की चचेरी बहन सुप्रिया ने उनकी पत्नी सुनेत्रा को करारी शिकस्त दी थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित ने कहा, ‘‘मेरी मां ने पवार साहब से कहा था कि पवार परिवार के भीतर कोई मुकाबला नहीं होना चाहिए, लेकिन उन्होंने एक उम्मीदवार खड़ा कर दिया। शरद पवार बड़े नेता हैं। मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन मेरी मां के आग्रह के बावजूद उन्होंने ऐसा फैसला लिया।’’
अजित ने बारामती विधानसभा सीट बरकरार रखने का भरोसा जताया।
उन्होंने कहा, ‘‘बारामती के लोग जानते हैं कि क्षेत्र के विकास में कई लोग शामिल थे, लेकिन मैंने सबसे अधिक प्रयास किए हैं। मैंने वहां काम किया है और मेरा काम खुद बोलता है।’’
महाराष्ट्र में अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या प्रवासियों की घुसपैठ से जुड़ी एक हालिया रिपोर्ट के बारे में अजित ने कहा कि यह एक ‘‘बहुत गंभीर अवलोकन’’ था और सभी वरिष्ठ नेताओं को एक साथ बैठना चाहिए तथा इस मुद्दे से निपटने के बारे में निर्णय लेना चाहिए।
अजित ने चुनाव में खंडित जनादेश मिलने पर राकांपा के महा विकास आघाडी (एमवीए) में लौटने की संभावनाओं से इनकार किया।
उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मैं अभी इस बारे में नहीं सोच रहा हूं, क्योंकि मेरा लक्ष्य महायुति (राकांपा, भाजपा और शिवसेना का सत्तारूढ़ गठबंधन) के लिए 175 सीटें जीतना है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या मराठा आरक्षण का मुद्दा राज्य विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा, अजित ने माना कि कई लोग मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे की बात सुनते हैं और इसका असर लोकसभा चुनावों में देखा गया था।
‘लाडकी बहीण योजना’ के बारे में पूछे जाने पर अजित ने कहा कि यह एक सरकारी योजना है और इससे महायुति के सभी घटक दलों को फायदा होगा।
जब अजित से शिवसेना नेता एवं मंत्री तानाजी सावंत की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने को कहा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कैबिनेट बैठकों में अजित पवार के बगल में बैठने पर उन्हें उल्टी जैसा महसूस होता है तो राकांपा प्रमुख ने कहा कि यह गलत बयान था, और ‘मैं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इस बारे में बात करूंगा।’’
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे पार्टी सहयोगी नवाब मलिक का बचाव करते हुए अजित ने कहा कि उन पर लगा कोई भी आरोप अदालत में साबित नहीं किया जा सका है।
भाषा पारुल वैभव
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