मुंबई, 24 जनवरी (भाषा) शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) के नेता आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि दावोस में विश्व आर्थिक मंच के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने जिन 54 कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें से केवल 11 कंपनियां विदेशी हैं जबकि शेष 43 कंपनियां भारतीय हैं।
ठाकरे ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दावोस यात्रा पर 20-25 करोड़ रुपये खर्च करने के बजाय समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ राज्य और संघीय सरकारों के प्रमुखों व सामाजिक उद्यमियों के साथ बैठकें कर सकते थे।
उन्होंने कहा, “मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि वैश्विक गठजोड़ के लिए दावोस जैसी कोई दूसरी जगह नहीं है, खासकर महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक और प्रगतिशील राज्य के लिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि जनता को ज्ञापन समझौतों को लेकर जनसंपर्क संबंधी गतिविधियों से मूर्ख नहीं बनना चाहिए।
ठाकरे ने कहा, “कुल मिलाकर, महाराष्ट्र सरकार ने दावोस में 54 कंपनियों के साथ ज्ञापन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 43 कंपनियां भारतीय हैं जबकि 11 विदेशी कंपनियां हैं। 43 कंपनियों में से 31 महाराष्ट्र में स्थित हैं।”
राज्य सरकार के अनुसार, विश्व आर्थिक मंच के दौरान 15.70 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए 61 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे संभावित रूप से 16 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं।
ठाकरे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के कर्मचारियों और कार्यालय ने उनके कार्यक्रम को गलत तरीके से निर्धारित किया और कहीं न कहीं यह सुनिश्चित किया कि यह यात्रा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों के कारण ही अटकी रहे।
शिवसेना (उबाठा) के नेता ने उन समझौतों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘अगली बार सड़क ठेकेदारों को भी दावोस ले जाया जाएगा’।
उन्होंने दावोस में देरी से पहुंचने और जल्दी भारत वापस आने के लिए राज्य मंत्री उदय सामंत की आलोचना की।
ठाकरे ने कहा कि दावोस में महाराष्ट्र मंडप के उद्घाटन के दौरान सामंत मौजूद भी नहीं थे।
ठाकरे ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का मजाक उड़ाते हुए कहा कि दावोस जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शिंदे शामिल नहीं थे जबकि वह शहरी विकास मंत्रालय के तहत आने वाले एमएमआरडीए और सिडको कुछ समझौतों में शामिल थे।
भाषा जितेंद्र माधव
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