नई दिल्ली: Mahakumbh 2025 महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान आज मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर शुरू हो चुका है। पौष पूर्णिमा स्नान के सफल समापन के बाद आज महाकुंभ में नागा साधुओं के आखाड़े अमृत स्नान करेंगे। महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में संगम तट पर होता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ संगम में स्नान करते हैं, लेकिन नागा साधु पहले अमृत स्नान क्यों करते हैं, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है। इसके पीछे एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता है। आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है?
Mahakumbh 2025 नागा साधु सनातन धर्म के विशेष समुदाय हैं, जो अपने कठोर तप और साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। वे हमेशा अपने शरीर को नग्न रखते हैं और ध्यान, योग और अन्य आध्यात्मिक अभ्यासों में लीन रहते हैं। इन साधुओं का मानना है कि वे संसार से ऊपर उठकर केवल आत्मा और परमात्मा के मिलन की तलाश में हैं। इसलिए उनका जीवन पूरी तरह से तप, संयम और भक्ति में बसा होता है।
महाकुंभ में पहले अमृत स्नान का विशेष महत्व है। इसे पवित्र और शुद्ध करने वाली क्रिया माना जाता है। माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने से आत्मा को शांति मिलती है और पाप धुल जाते हैं। नागा साधु सबसे पहले अमृत स्नान करते हैं क्योंकि उन्हें समाज में एक धार्मिक और आध्यात्मिक नेतृत्वकर्ता माना जाता है। उनका यह स्नान केवल शारीरिक शुद्धता नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है।
कई पुरानी धार्मिक मान्यताएँ यह कहती हैं कि भगवान शिव के इन साधुओं में विशेष शक्ति होती है। वे अपने तप और साधना के कारण पहले अमृत स्नान करने के योग्य माने जाते हैं। नागा साधु के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे इस संसार के पारलौकिक सत्य को पहचानने और आत्मा के दिव्य मिलन के मार्ग पर अग्रसर हैं। इस कारण उन्हें पहले स्नान का विशेष अधिकार दिया जाता है, ताकि वे दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें।