Mahakumbh Ram Stone: इस चमत्कारी पत्थर को छू लेने मात्र से पूरी हो जाती है मनोकामना, जूना अखाड़ा के संत ने किया दावा, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

Mahakumbh Ram Stone: इस चमत्कारी पत्थर को छू लेने मात्र से पूरी हो जाती है मनोकामना, जूना अखाड़ा के संत ने किया दावा

Mahakumbh Ram Stone: प्रयागराज। 13 जनवरी से प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) मंगलवार सुबह 6.15 बजे से शुरू हुआ। महाकुंभ में शामिल होने के बाद देश ही नहीं दुनियाभर से साधू संत और नामी हस्ती लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इसी बीच प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़ा में रामेश्वरम से संत ऐसा चमत्कारी पत्थर लाए हैं, जिस पर श्री राम लिखा है।

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इस पत्थर की खासियत यह है कि, वह पानी में तैर रही है। श्री राम लिखे इस पत्थर को स्पर्श करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जूना अखाड़ा पहुंच रहे हैं। नागा साधु का कहना है कि, इसको छू लेने मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है इस पत्थर छू लेना मात्र ही श्री राम के चरणों को स्पर्श कर लेना है। मौके से जायजा लिया हमारे संवाददाता रवि हेमराज सिसोदिया ने ।

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महाकुंभ में देश विदेश से लोग स्नान करने पहुंच रहे हैं। कहा जाता है कि,  स्नान करने से पाप से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति भक्तों को होती है। बता दें कि महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र धार्मिक आयोजन है। यह हर 12 साल में होता है और इस बार 2025 में प्रयागराज में इसका आयोजन 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस आयोजन में करीब 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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प्रयागराज महाकुंभ 2025 की शुरुआत कब हुई?

प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हुई है।

पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) कब से शुरू हुआ?

पहला अमृत स्नान 14 जनवरी दिन मंगलवार सुबह 6:15 बजे से शुरू हुआ।

महाकुंभ में कौन-कौन लोग शामिल हो रहे हैं?

महाकुंभ में साधु-संत, नामी हस्तियां और देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।

जूना अखाड़ा में कौन सा खास पत्थर लाया गया है?

जूना अखाड़ा में रामेश्वरम से ऐसा चमत्कारी पत्थर लाया गया है, जिस पर "श्री राम" लिखा हुआ है और जो पानी में तैरता है।

इस पत्थर की खासियत क्या है?

इस पत्थर की खासियत यह है कि यह पानी में डूबने के बजाय तैरता है। इस पत्थर को छूना भगवान श्री राम के चरणों को स्पर्श करने के समान है और इससे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

यह पत्थर कहां से लाया गया है?

यह पत्थर तमिलनाडु के पवित्र रामेश्वरम क्षेत्र से लाया गया है।