Prayagraj Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या से पहले महाकुंभ में 1800 से अधिक साधु बनेंगे नागा, जूना अखाड़े में शुरू हुई पर्ची कटने की प्रक्रिया

Prayagraj Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या से पहले महाकुंभ में 1800 से अधिक साधु बनेंगे नागा, जूना अखाड़े में शुरू हुई पर्ची कटने की प्रक्रिया

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  • Publish Date - January 18, 2025 / 10:27 PM IST,
    Updated On - January 18, 2025 / 10:27 PM IST

प्रयागराज। Prayagraj Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरूआत हो चुकी है। जिसका समापन 26 फरवरी, 2025 को होगा। इस भव्य मेले देश -विदेश से लाखों करोड़ों की संख्या में लोग पहुंचे हैं। इस पर्व में दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु, साधु-संत और योगी शामिल हुए। वहीं अब संगम तट पर बने अखाड़ों में नए नागा साधु बनाने के लिए पर्ची कटनी शुरू हो गई है। मौनी अमावस्या से पहले सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे। वहीं जूना अखाड़े में यह प्रक्रिया आज से शुरू हो चुकी है। 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी। नागा साधुओं को इसके लिए 108 बार डुबकी लगाकर परीक्षा देनी होगी।

24 घंटे करनी होगी तपस्या

बताया गया कि, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान समेत उदासीन अखाड़ों में भी मौनी अमावस्या से नागा साधु बनाए जाएंगे। सभी अखाड़ों में 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाया जाएगा। संस्कार पूरा होने के बाद सभी नवदीक्षित नागा मौनी अमावस्या पर अखाड़े के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे। जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि ने बताया कि 17 जनवरी को धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या और संस्कार की शुरुआत होगी। इस दौरान साधुओं को 24 घंटे बिना भोजन और पानी के तपस्या करनी होगी। इसके बाद, अखाड़ा कोतवाल के साथ सभी साधुओं को गंगा तट पर ले जाया जाएगा, जहां वे गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन करेंगे।

आचार्य महामंडलेश्वर देंगे दीक्षा

वहीं यहां पांच गुरु उन्हें विभिन्न वस्त्र देंगे और संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे। इसके बाद हवन होगा और 19 जनवरी की सुबह लंगोटी खोलकर वह नागा बना दिए जाएंगे। हालांकि उनको वस्त्र के साथ अथवा दिगंबर रूप में रहने का विकल्प भी दिया जाता है। वस्त्र के साथ रहने वाले अमृत स्नान के दौरान नागा होकर ही स्नान करेंगे। महंत रमेश गिरि का कहना है महाकुंभ में सभी अखाड़े 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाएंगे। इनमें सर्वाधिक जूना अखाड़े से नागा बनाए जाएंगे।

करनी होगी ये दो क्रियाएं

Prayagraj Mahakumbh 2025:  नागा बनाने के दौरान दो क्रियाएं सबसे अहम मानी जाती हैं। पहली अहम क्रिया चोटी काटने की होती है। शिष्य का पिंडदान कराने के बाद गुरु उसके सामाजिक बंधनों को चोटी के माध्यम से काटते हैं। चोटी कटने के बाद दोबारा कोई नागा सामाजिक जीवन में नहीं लौट सकता। सामाजिक जीवन में लौटने के उसके दरवाजे बंद हो जाते हैं। गुरु की आज्ञा ही उनके लिए आखिरी होती है। दूसरी अहम क्रिया तंग तोड़ की होती है। यह क्रिया गुरु खुद से न करके दूसरे नागा से करवाते हैं। तंग तोड़ नागा बनाने की सबसे आखिरी क्रिया होती है