प्रयागराज: periods me mahila naga sadhu kumbh Snan Kaise Karte hai उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा है। 144 साल बाद होने वाले पूर्ण महाकुंभ में जहां एक ओर लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं तो दूसरी ओर साधु, संन्यासी और महिला साधुओं की टोली भी यहां पहुंचकर अमृत स्नान कर रही है। हालांकि प्रयागराज में कुछ ऐसी साध्वी भी पहुंचीं हैं जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। वहीं, अमृत स्नान के दौरान एक सवाल है जो सोशल मीडिया पर लोग पूछ हैं कि महिला साधुएं महाकुंभ में स्नान कैसे करती हैं? तो चलिए जानते हैं महावारी के दौरान महिला नागा साधुओं की क्या दिनचर्या होती है।
periods me mahila naga sadhu kumbh Snan Kaise Karte hai महिलाएं भी नागा साधु बनती हैं। महिला नागा साधु को नागिन, अवधूतनी या माई कहा जाता है। ये वस्त्रधारण करती हैं। हालांकि कुछ चुनिंदा महिला नागा वस्त्र त्यागकर भभूत को ही वस्त्र बना लेती हैं। जूना अखाड़ा देश का सबसे बड़ा और पुराना अखाड़ा है। ज्यादातर महिला नागा इसी से जुड़ी हैं।
2013 में पहली बार इससे महिला नागा जुड़ीं थीं। सबसे ज्यादा महिला नागा इसी अखाड़े में हैं। इसके अलावा आह्वान अखाड़ा, निरंजन अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा और आनंद अखाड़े में भी महिला नागा हैं। सबसे सीनियर महिला नागा संन्यासी को अखाड़े में श्रीमहंत कहा जाता है। श्रीमहंत चुनी गई माई को शाही स्नान के दिन पालकी में लाया जाता है। उन्हें अखाड़े की ध्वजा और डंका लगाने का अधिकार होता है। महिला नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया भी पुरुष नागा साधुओं जैसी ही है। अंतर बस इतना है कि ब्रह्मचर्य पालन के लिए पुरुषों का जननांग निष्क्रिय किया जाता है, जबकि महिलाओं को ब्रह्मचर्य के पालन का संकल्प लेना होता है। कई महिलाओं को ये साबित करने में 10-12 साल भी लग जाते हैं।
महिला नागा साधुओं के लिए कई प्रकार के कड़े नियम बनाए गए हैं, जिसमें एक महवारी के दौरान कुंभ स्नान का भी है। महवारी के दौरान महिला नागा साधुओं को कुंभ या गंगा में स्नान की अनुमति नहीं होती है। इस दौरान महिला नागा साधु गंगा जल को अपने ऊपर छिड़ककर संतोष कर लेती हैं। वे केसरिया रंग के बिना सिले वस्त्र पहनती हैं। इस वस्त्र की वजह से वे मासिक धर्म के दौरान भी एक छोटा वस्त्र बहाव के स्थान पर लगा लेती हैं। कुंभ के दौरान महिला नागा साधुओं के लिए माई बाड़ा बनाया जाता है। सभी महिला नागा साधु उसी में रहती हैं। मासिक धर्म के दौरान वे गंगा स्नान नहीं करतीं, बल्कि मनन और ध्यान में लीन रहती हैं।