Mahakumbh 2025: महाकुंभ में दिखा ‘बाबाओं’ का रंग, कांटे वाले बाबा बने आकर्षण का केंद्र, देखें वीडियो

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में दिखा 'बाबाओं' का रंग, कांटे वाले बाबा बने आकर्षण का केंद्र, देखें वीडियो

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  • Publish Date - January 16, 2025 / 07:52 AM IST,
    Updated On - January 16, 2025 / 07:52 AM IST

प्रयागराज: Mahakumbh 2025 13 जनवरी से महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर शुरू हुआ है। पौष पूर्णिमा स्नान के सफल समापन के बाद बुधवार महाकुंभ में नागा साधुओं का आखाड़ा अमृत स्नान किया। महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में संगम तट पर होता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ संगम में स्नान करते हैं, वहीं नागा साधु शाही स्नान से पहले एक विशेष प्रक्रिया से गुजरते हैं, जिसे देखकर कई लोग चकित हो जाते हैं। वहीं इन दिनों महाकुंभ में लोगों का जोश देखने को मिल रहा है। प्रयागराज में साधु संतों को जमावड़ा है, तो वहीं सोशल मीडिया पर महाकुंभ के कई वीडियो और फोटो देखने को मिल रहा है। इसी बीच महाकुंभ से एक कांटा वाला बाबा का दृश्य देखने को मिला है। जो अब सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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कांटों वाले बाबा

Mahakumbh 2025 प्रयागराज में ‘कांटे वाले बाबा’ के नाम से मशहूर एक संत को एक दुर्लभ मुद्रा में देखा गया, जिसने बड़ी संख्या में भक्तों का ध्यान आकर्षित किया। वे कांटों पर सोते थे और यहां तक ​​कि अपने शरीर को कांटों की एक और शाखा से ढक लेते थे। ‘कांटे वाले बाबा’ का शाब्दिक अर्थ है कांटों का संत। कथित तौर पर संत रमेश कुमार मांझी को ‘कांटे वाले बाबा’ के नाम से जाना जाता है।

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कांटों पर लेटने के बारे में बाबा कहते हैं, “यह सब भगवान की कृपा है जो मुझे ऐसा करने (कांटों पर लेटने) में मदद करती है। मैं पिछले 40-50 सालों से हर साल ऐसा करता आ रहा हूं। मैं ऐसा इसलिए करता हूं क्योंकि इससे मेरे शरीर को फायदा होता है। इससे मुझे कभी कोई नुकसान नहीं होता। मैं मिलने वाली ‘दक्षिणा’ का आधा हिस्सा दान कर देता हूं और बाकी का इस्तेमाल अपने खर्चों को पूरा करने में करता हूं।”

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महाकुंभ 2025 कब से शुरू हुआ है?

महाकुंभ 2025 का आगाज 13 जनवरी से हुआ है, और इसका पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन हुआ था।

कांटे वाले बाबा कौन हैं?

कांटे वाले बाबा, जिन्हें संत रमेश कुमार मांझी के नाम से भी जाना जाता है, एक साधु हैं जो अपने शरीर पर कांटों को रखते हुए और कांटों पर सोते हुए अपने धर्म और आस्था को प्रदर्शित करते हैं। वे इसे भगवान की कृपा मानते हैं और इसे अपने शरीर के लिए लाभकारी मानते हैं।

महाकुंभ 2025 में कौन-कौन से स्नान विशेष हैं?

महाकुंभ में कई महत्वपूर्ण स्नान होते हैं, जैसे मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, और शाही स्नान। इन स्नानों में लाखों श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए संगम में स्नान करते हैं।

महाकुंभ 2025 में कौन से प्रमुख आयोजन हो रहे हैं?

महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं का अखाड़ा, शाही स्नान, और कई धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। इसके अलावा, श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।

महाकुंभ 2025 में कांटे वाले बाबा का क्या उद्देश्य है?

कांटे वाले बाबा का उद्देश्य अपनी आस्था और साधना के जरिए समाज को एक संदेश देना है कि कठिन तपस्या और साधना से मानसिक और शारीरिक लाभ मिल सकते हैं।