Maha Kumbha 2025: 20 किलो की चाबियां लेकर तकदीर का बंद ताला खोलने वाले बाबा पहुंचे प्रयागराज, महाकुंभ में बना आकर्षण का केंद्र

20 किलो की चाबियां लेकर तकदीर का बंद ताला खोलने वाले बाबा पहुंचे प्रयागराज, Baba who opens the locked lock of destiny reached Prayagraj with 20 kg keys

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  • Publish Date - January 6, 2025 / 02:48 PM IST,
    Updated On - January 6, 2025 / 02:48 PM IST

प्रयागराजः Chabi Wale Baba  यूपी के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला क्षेत्र में इन दिनों एक अनोखा साधु आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हरिश्चंद्र विश्वकर्मा उर्फ कबीर, जिन्हें लोग “चाबी वाले बाबा” के नाम से जानते हैं, अपने रथ के साथ महाकुंभ में पहुंचे हैं। यह साधु न केवल अपनी चाबी के साथ आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, बल्कि सनातन धर्म की रक्षा और देश की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। उनका यह अनोखा रूप और संदेश महाकुंभ में आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।

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Chabi Wale Baba बता दें कि चाबी वाले बाबा का रथ ही उनका आश्रम है। रथ पर चाबी को लेकर चलने की उनकी एक गहरी सोच है। उन्होंने बताया कि चाबी का रूप उनके लिए सिर्फ एक साधारण वस्तु नहीं, बल्कि यह एक गहरे आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में है। बाबा ने कहा कि मैंने अपनी चाबी को इसलिये अपनाया है क्योंकि मेरा गुरु, स्वामी विवेकानंद जी ने शून्य को अपनाया था। स्वामी विवेकानंद जी ने शून्य को अपना अस्तित्व मानते हुए उसे एक महान कार्यशक्ति में बदल दिया। ठीक उसी तरह मैंने चाबी को लिया है, जिससे मेरे रथ के साथ मेरी यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट होता है।

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चाबी वाले बाबा ने यह भी बताया कि भारत में जितनी भी समस्याएं हैं, उनका समाधान एक चाबी से ही संभव है। उनके अनुसार, चाबी के माध्यम से हम जीवन में हर प्रकार की कठिनाई को खोल सकते हैं।

प्वाइंट्स में ऐसे समझे पूरी खबर

चाबी वाले बाबा कौन हैं?

चाबी वाले बाबा, जिनका असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा उर्फ कबीर है, यूपी के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वे अपने साथ हमेशा 20 किलो चाबियां रखते हैं और सनातन धर्म की रक्षा और देश की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करते हैं।

चाबी वाले बाबा अपने साथ क्यों चाबियां रखते हैं?

चाबी वाले बाबा का कहना है कि चाबी उनके लिए केवल एक साधारण वस्तु नहीं, बल्कि एक गहरे आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में है। उनका मानना है कि चाबी के माध्यम से हम जीवन की कठिनाइयों को खोल सकते हैं, जैसा स्वामी विवेकानंद जी ने शून्य को एक महान कार्यशक्ति में बदला था।

चाबी वाले बाबा का रथ क्या है?

चाबी वाले बाबा का रथ ही उनका आश्रम है, जिसमें वे हमेशा चाबियों के साथ यात्रा करते हैं। रथ पर चाबी रखना उनके आध्यात्मिक उद्देश्य और संदेश को दर्शाता है।

चाबी के साथ बाबा का क्या संदेश है?

चाबी वाले बाबा का मानना है कि भारत की समस्याओं का समाधान एक चाबी से ही संभव है। उनका संदेश है कि जीवन की हर कठिनाई को चाबी की तरह खोलकर हल किया जा सकता है।

चाबी वाले बाबा का महाकुंभ में आने का उद्देश्य क्या है?

उनका उद्देश्य महाकुंभ में आकर सनातन धर्म की रक्षा और लोगों को जागरूक करना है, ताकि लोग अपने जीवन में आस्था और विश्वास को मजबूत करें।

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