प्रयागराज। Mahakumbh 2025: अगर आप सोचते हैं कि नागा साधु सिर्फ शैव सम्प्रदाय में ही होते हैं और सभी नागा सन्यासी भस्म लपेटे, निर्वस्त्र ही रहते हैं तो अपनी सोच बदल लीजिए। शैव के अलावा वैष्णव सम्प्रदाय में भी नागा साधु होते हैं जो वस्त्र तो पूरे पहनते हैं लेकिन शस्त्र विद्या में दक्ष होते हैं। वैष्णव सम्प्रदाय के तीनों अखाड़ों में सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने का जिम्मा वैष्णव नागा साधुओं का ही है। एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला सनातन धर्म की रक्षा के लिए वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों का यही सबसे बड़ा मूलमंत्र है।
मुगलकाल में जब हिदुओं पर अत्याचार ढाए जा रहे थे तो अखाड़ों के नागा सन्यासियों की फौज, मुगलों को धूल चटाने तैयार हो गई थी। कहते हैं कि, अखाड़ों के चलते ही मुग़ल, भारत में धर्मांतरण को उतना परवान नहीं चढ़ा पाए जितना वो चाहते थे। एक तरफ जहां शैव सम्प्रदाय के नागा साधु अपने भयंकर रूप के साथ सामने थे तो दूसरी तरफ वैष्णव सम्प्रदाय के नागा साधु शस्त्र लेकर मरने मारने को तैयार थे। फर्क सिर्फ वस्त्रों का था जो आज भी है। दरअसल, वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़े भगवान राम को अपना ईष्ट और धरती माँ को माँ सीता का ही रूप मानते हैं। ऐसे में वैष्णव धरती में कभी निर्वस्त्र अवस्था में नहीं रहते। वैष्णव सम्प्रदाय में शास्त्र के बाद शस्त्रों की शिक्षा दीक्षा देकर स-वस्त्र नागा भी बनाए जाते हैं। वैष्णव नागा सन्यासी शस्त्र विद्या में दक्ष होते हैं जिन्हें सनातन की रक्षा के लिए सिर काटने कटा लेने के लिए हमेशा तैयार रहने की सौगंध खिलाई जाती है।
Mahakumbh 2025: वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़ों में जो साधु आगे-आगे शस्त्र प्रदर्शन करते चलते हैं। वहीं वैष्णव नागा साधु होते हैं। अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अणि अखाड़ा , वैष्णव सम्प्रदाय के तीनों अखाड़ों यानि दिगम्बर, निर्वाणी और निर्मोही अखाड़ों में सबसे बड़ा है जिसे वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़ों के राजा भी कहा जाता है। नीचे धरती ऊपर अम्बर और बीच में दिगम्बर का नारा देने वाले इस अखाड़े के नियमों से ही तीनों वैष्णव अखाड़ों में नागा साधु तैयार होते हैं जो आज भी सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने को तैयार हैं।