Mahashivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि के पूजा करते समय जरूर सुनें ये व्रत कथा, घर में आएगी खुशहाली

Mahashivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि के पूजा करते समय जरूर सुनें ये व्रत कथा, घर में आएगी खुशहाली

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  • Publish Date - March 7, 2024 / 10:34 AM IST,
    Updated On - March 7, 2024 / 10:34 AM IST

Mahashivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। ये पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार कल,यानी 8 मार्च को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से पूजा अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

पौराणि कथा के अनुसार एक दिन माता पार्वती ने महादेव से पूछा था कि हे महादेव आपकी कृपा पाने के लिए सबसे सरल व्रत कौन सा है तब भोलेनाथ ने महाशिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनाई। बताया कि, एक गांव में शिकारी रहा करता था जो साहूकार के कर्ज तले तबा हुआ था। शिकारी अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए शिकार किया करता था। साहूकार ने गुस्से में आकर उस शिकारी को बंदी बना लिया। उस दिन साहूकार ने शिवरात्रि की कथा सुनी थी, जिसके बाद उसने जल्द ही साहूकार के पैसे चुकाने का वचन दिया। जिसके बाद साहूकार ने उसे छोड़ दिया। वहीं जंगल में शिकार की तलाश करते हुए शिकार बेल के पेड़ के पास पहुंचा जहां एक शिवलिंग था जो बेल के पत्तो से ढका हुआ था लेकिन इस बात से शिकारी बिल्कुल अंजान था।

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अंजाने में किया उपवास

भूख-प्यास से व्याकुल शिकार बेल की टहनियों को तोड़कर नीचे फेंक रहा था जिससे बेल की पत्तियां शिवलिंग पर गिर रही थी। इसके बाद रात के समय शिकारी ने एक गर्भवती हिरण को देखा और शिकार करने की ठानी, तब हिरण ने कहा कि वह गर्भवती है बच्चे को जन्म देने के बाद उसे मारे। शिकारी ने उस हिरण को जाने दिया। थोड़ी ही देर बाद हिरण अपने बच्चे के साथ आई, तब शिकारी ने फिर सोचा कि एक साथ दो शिकार करूंगा। फिर हिरण ने कहा कि मैं अपने बच्चे के साथ  अपने पति की तलाश कर रही है वह जल्द ही पति से मिलने के बाद शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगी. शिकारी ने उसे फिर से छोड़ दिया।

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रोने लगा था शिकारी

अब सुबह होने ही वाली थी. तभी वहां एक हिरण आया। शिकारी उसे मारने के लिए तैयार था, लेकिन ​हिरण ने कहा कि परिवार से मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थि​त हो जाऊंगा। उसके मन में भक्ति की भावना प्रकट हो गई और वह पुराने कर्मों को सोचकर पश्चाताप करने लगा। तभी उसने देखा कि हिरण का पूरा परिवार शिकार के लिए उसके पास आ गया। यह देखकर वह और करुणामय हो गया और रोने लगा। इसके बाद शिकारी नेे हिरण और उसके परिवार को जीवन दे दिया और शिकार छोड़कर दया के मार्ग में चलने लगा। अंजाने में हुए महाशिवरात्रि का उपवास भी कर लिया था। इस दौरान तब से इस शिवरात्रि को महाशिवारात्रि के नाम से जाना जाने लगा।

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