Reported By: Harpreet Kaur
,MP-Rajasthan River Link Project : भोपाल। भोपाल में पार्वती- कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना के संबंध में महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा मुख्य अतिथि के रूम में शामिल हुए। बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की नदियों को जोड़ने की यह परियोजना दोनों राज्यों की जल संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए बनाई गई। इसका कार्यान्वयन शुरु करने के लिए आज मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा वार्तालाप करेंगे।
MP-Rajasthan River Link Project : इस योजना से 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का विकास हो पाएगा। इस परियोजना से प्रदेश के मालवा और चंबल में आने वाले जिले लाभान्वित होंगे। 10 जिले- उज्जैन, इंदौर, धार, गुना, श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, शाजापुर और आगर-मालवा में पेयजल की सुविधा मिलेगी। इन इलाकों में सिंचाई की समस्या का भी समाधान होगा। इससे कृषि, उद्योग, पर्यटन के क्षेत्र में लाभ होगा। बता दें कि इस बैठक में मंत्री कृष्णा गौर, तुलसी सिलावट सहित राजस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।
मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथि राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने अपना संबोधन में कहा कि सबसे पहले मैं डॉ मोहन यादव जी धन्यवाद देना चाहता हूं, इन्होंने इस योजना को आगे बढ़ाते हुए समझौते का प्रारूप केंद्र सरकार पीएम मोदी जी ने मूर्त रूप दिया। क्योंकि मध्यप्रदेश राजस्थान ऐसे प्रदेश है यहां जमीन है लेकिन सिचांई के साधन नही है, यह दोनो प्रदेशो के किसानों की उन्नति के साथ ही सिचांई के लिए लाभदायक है।
पहले लोग पानी ले लिए प्याऊ लगवाते थे, नदियां कुएं से पानी मिलता था लेकिन आज स्थिति बदली है लेकिन अब संसाधनों को व्यवस्थित करते हुए उपयोग कर रहे है। यह योजना इतनी बड़ी है कि राजस्थान के 13 जिले इसमें आ रहे है मध्यप्रदेश के भी इतने जिले है। बारिश होती थी पानी पूरा हिन्द महासागर में जाता था, बारिश में नदियां उफान पर है पानी बह जाता था।
लेकिन अब योजना के माध्यम से किसान को फायदा हो जनता को पीने का पानी मिले, सिंचाई होगी। इस योजना से यह सब लाभ होंगे, दोनों राज्यो के बीच इस योजना से गहरा रिश्ता स्थापित होगा। मध्यप्रदेश और राजस्थान की परंपरा एक जैसी है।
सीएम डॉ मोहन यादव से बातचीत में उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण भी मध्यप्रदेश आये क्यों न कृष्ण पथ बने। भगवान कृष्ण मथुरा से चले यहां आए , निश्चित यह काम अगर किया तो अच्छा गहरा रिश्ता बनेगा। हमारा ऐसा रिश्ता बने खाटू श्याम से महाकाल तक कारीडोर बने। देव स्थानो को जोड़ते हुए दोनों प्रदेशो में पर्यटक आये तो हर जगह के दर्शन करे। चित्तौड़ का किला भी लोग देखें। उदयपुर से लेकर हल्दीघाटी से लेकर हमने कॉरिडोर बनाया। महाराणा प्रताप ने आतताईयों को खत्म किया उनके स्थलों को मध्यप्रदेश के लोग जाने।
पीएम मोदी को धन्यवाद, किसानों को आगे बढ़ाने श्री अन्न योजना बनाई उससे राजस्थान और मध्यप्रदेश को फायदा मिला। आज भूजल स्तर नीचे जा रहा अगर हमारी यह योजना ठीक प्रकार से बनी तो हमारा पानी का स्तर बढ़ेगा। निश्चित रूप से किसानों को फायदा होगा लोगो को पीने का पानी मिलेगा। यहां से चीते हमारे प्रदेश के जिलों में आ जाते है टाइगर आ जाते है ऐसी परियोजना बने की आपका टाइगर वहां रहे हमारा चीता यहां रहे। पर्यटक राजस्थान आये तो मध्यप्रदेश भी आयर मध्यप्रदेश आये तो राजस्थान भी जरूर आये।
पार्वती काली सिंध चम्बल परियोजना के लिए सीएम डॉ मोहन यादव को राजस्थान की तरफ से बहुत बहुत स्वागत अभिनन्दन करता हूँ। दोनों राज्यो में सिर्फ बात चल रही थी लेकिन दृढ़ शक्ति और ललक की जरूरत थी, डॉ मोहन यादव ने कहा आना है हमने कहा बिल्कुल आते है।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि दो राज्य 20 साल से ज्यादा समय से छोटे छोटे इशू को हटाकर राज्यो के हित में फैसला किया। पीएम मोदी का अभिननदन, जल का बंटवारा नदियों में बहने वाला जल लोगो की जिंदगी में बदलाव लाये, अब वो हो रहा है। हम और भजनलाल जी जनवरी में मिले हमने इस मुद्दे पर बात की, हल निकाला कैसे इन नदियों की धारा का उपयोग हो। छोटे छोटे इशू पर हल निकाला, मध्यप्रदेश और राजस्थान भाई भाई है, हमने इस मामले में MOU किया। हमारी सच्चे मन की भावना थी इसे हमने परवान चढ़ाया।
श्योपुर, मुरैना ,ग्वालियर, गुना चम्बल का इलाका पानी की दिक्कत से जूझते है, लोग जीवटता के साथ रहते है लेकिन अब इस परियोजना से प्रदेश के यही 13 जिले पानी के कष्ट से पार पाएंगे। 72 हजार करोड़ की योजना, दोनो को 35 -35 हजार करोड की योजना, देने वाला दे रहा लेने वालों को परेशानी हो रही थी लेकिन अब काम हो रहा है। अब कई जिलों का हाल बदलने वाला है।
धार्मिक पर्यटन में भी अब मध्यप्रदेश और राजस्थान में बहुत कुछ बदलने वाला है। मथुरा से चले भगवान कृष्ण चले उज्जैन पहुंचे और राजस्थान से आये ऐसे में उनके आवागमन के मार्ग में 32 लीलाओ का मार्ग बने, परस्पर कृष्ण पथ बने। अब दोनों प्रदेशो में इलेक्ट्रिक साधनों से टूरिज्म बढ़ाया जा रहा है। माइनिंग के सेक्टर में हमारी सोच एक जैसी है खनिज संपदा में भी हम एक दुसरे के साथ खड़े हो सकते है।
आयुर्वेद के मामलें में दोनों देशों में अपार संभावनाएं है। उदाहरण के लिए हमारा अफीम का बेल्ट मंदसौर नीमच है, कुछ कठिनाइयां है यहाँ, भविष्य में राजस्थान में यही परेशानी है दोनों मिलकर हल निकाल सकते है। मेडिकल कालेज राजस्थान सीमा से लगे है, ऐसे में दोनों प्रदेश के छात्रों को फायदा मिले। रणथंबोर से टाइगर आ जाता है हमारा चीता वहां चला जाता है हम उन्हें तलाशते है जबकि जाता देश के हिस्से में ही। बेहतर है दोनों राज्य एक दूसरे के टाइगर और चीते की सुरक्षा करें अगर एक दूसरे की सीमा में आ जाये।
मध्यप्रदेश-राजस्थान के नदियों को जोड़ने की कवायद, सीएम डॉ मोहन यादव || LIVE @BJP4Rajasthan | @BhajanlalBjp | @DrMohanYadav51 | @BJP4MP | #MadhyaPradesh | @CMMadhyaPradesh
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