Announcement to tribal majority urban bodies : भोपाल – मध्यप्रदेश में आदिवासी बहुल्य के चार दर्जन नगरीय निकायों पर चुनाव को ऐलान अगले हफ्ते हो सकता है। इन चुनावों के लिए सभी संबंधित जिलों के प्रशासन की ओर से वार्डों का आरक्षण कर पूरी जानकारी नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय को भेजी जा चुकी है। इसके बाद अब संचालनालय द्वारा निकायों का आरक्षण संबंधी गजट नोटिफिकेशन का काम किया जा रहा है। जिन निकायों में चुनाव कराए जाने हैं, उनकी संख्या तो वैसे महज 46 ही है, लेकिन राजनैतिक रुप से इन सीटों का महत्व बहुत अधिक है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
Announcement to tribal majority urban bodies : यही वजह है कि इन चुनावों को लेकर भाजपा व कांग्रेस संगठन अभी से तैयारी में जुट गया है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर आदिवासी वोट बैंक पर हैं। सूबे में करीब चार दर्जन ऐसे नगरीय निकाय हैं, जिनमें अभी निर्वाचन का इंतजार बना हुआ है। माना जा रहा है की इनमें निर्वाचन के लिए तारीखों की घोषणा अगले हफ्ते की जा सकती है। यह वे निकाय हैं जो आदिवासी बहुल्य हैं। इसकी वजह से सभी की निगाहें इन निकायों के चुनाव परिणाम पर अभी से लग गई है। दरअसल, इन निकायों को आदिवासियों की पसंद के पैरामीटर के रुप में देखा जा रहा है। इनमें से कई निकाय तो नए बने हैं, जबकि बाकी का कार्यकाल अब समाप्त होने वाला है।
Announcement to tribal majority urban bodies : आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए दोनों ही पार्टियां समय-समय पर कई तरह के न केवल आयोजन करती आ रही हैं , बल्कि उनके हितों को लेकर कई तरह के वादे व दावे भी कर रही हैं। आदिवासी बहुल्य 37 नगरीय निकायों में से 2 का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो चुका है और बचे हुए 35 निकायों का कार्यकाल 12 सितंबर को पूरा होने जा रहा है। यह सभी निकाय आदिवासी बाहुल्य हैं। इनके अलावा शेष नौ सीटों में से गढ़ाकोटा, खुरई और मलाजखंड नगर पालिका की सीमा में वृद्धि के कारण परिसीमन नहीं हो पाया था। इस कारण इन तीनों निकायों के चुनाव जुलाई में नहीं होने की वजह से अब कराए जा रहे हैं।
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Announcement to tribal majority urban bodies : मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की आबादी 21.1 प्रतिशत है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से एसटी के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने एसटी की 47 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी और वह सत्ता में आ गई थी। इसके पहले आदिवासी वर्ग की सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिलती रही है , जिसकी वजह से बीजेपी लगातार डेढ़ दशक तक सत्ता में रही है। यही नहीं मध्य प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से आदिवासी समाज लगभग 90 सीटों पर हार-जीत के लिए प्रभावी माना जाता है। इन निकाय चुनावों में आदिवासी वर्ग का साथ 2023 की तस्वीर काफी हद तक साफ़ कर देगा।