भोपाल। MP Assembly Winter Session 2024 : मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है। आज सदन में अनुपूरक बजट पर चर्चा होगी। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने मंगलवार को 2024-2025 के लिए 22 हजार 460 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया था। बजट पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय तय किया गया है। मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्रवाही शुरू हो चुकी है। सदन में प्रश्नकाल जारी है।
बता दें कि बीजेपी विधायक सतीश मालवीय ने उज्जैन में रियासत कालीन शासकीय मंदिर की जानकारी मांगी है। उज्जैन जिले में विधानसभा कितने मंदिर जीर्ण शीर्ण है जितने मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है मंदिरों पर अतिक्रमण की स्थिति की जानकारी मांगी है।
वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंघ सिंघार ने भी सदन में उठाई मांग मंदिरों का प्रशासक कलेक्टर को क्यों बनाया गया है? मंदिर का प्रशासक कलेक्टर न होकर समितियों को संचालन कर दे और सरकार नीति बनाए। हिंदू की बात करते है लेकिन मंदिरों की यह स्थिति है।
जवाब में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा हमारी सरकार में कही भी मंदिरों की जमीन पर अतिक्रमण नहीं होने देंगे। जो सवाल विधायक ने किया है वहां मंदिर की जमीन पर यदि अतिक्रमण होगा तो तत्काल हटाया जाएगा।
प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने राजस्व अधिकारियों द्वारा विधायकों के पत्रों का, आदेशों का पालन नहीं करने का मुद्दा उठाया। इस दौरान जयवर्धन सिंह ने कहा विंध्य के सत्ता पक्ष के एक विधायक प्रदीप पटेल को तो अधिकारियों के कदमों में दंडवत करना पड़ा। बता दें कि जयवर्धन सिंह ने राजस्व मंत्री से की मांग प्रदेश में अभियान चलाकर राजस्व अधिकारियों से पूछे की कितने विधायकों के पत्रों का जवाब दिया।
मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2024-2025 के लिए 22,460 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया था।
बीजेपी विधायक सतीश मालवीय ने उज्जैन में रियासत कालीन शासकीय मंदिरों की स्थिति, जीर्णोद्धार, और मंदिरों पर अतिक्रमण की जानकारी मांगी।
उमंग सिंघार ने सवाल उठाया कि मंदिरों के प्रशासक कलेक्टर को क्यों बनाया गया है, और मंदिरों की देखरेख के लिए समितियों का गठन करने की मांग की।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उनकी सरकार में मंदिरों की जमीन पर अतिक्रमण नहीं होने देंगे और यदि ऐसा हुआ तो अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाएगा।
जयवर्धन सिंह ने राजस्व अधिकारियों द्वारा विधायकों के पत्रों का पालन नहीं करने का मुद्दा उठाया और मांग की कि प्रदेश में अभियान चलाकर यह पता लगाया जाए कि कितने विधायकों के पत्रों का जवाब दिया गया।