भोपाल: पिछले दिनों संसद में राज्यों को ओबीसी आरक्षण की सूची बनाने का अधिकार संशोधित बिल के जरिए पास कर दिया। अब राज्य सरकारें ओबीसी वर्ग में नई जातियों को शामिल कर सकती हैं। राज्यों को OBC की लिस्ट तैयार करने का अधिकार तो मिल गया लेकिन इसे लागू होने में सबसे बड़ा रोड़ा वर्तमान में आरक्षण कोटे की 50 फीसदी की कैपिंग है। इसे लेकर मध्यप्रदेश में भी सियासी दंगल जारी है। ओबीसी आरक्षण पर कोर्ट के निर्णय के बाद शिवराज सरकार जहां रणनीति बनाने मे जुटी है, तो वहीं कांग्रेस उसे घेरने की तैयारी कर रही है। अब सवाल ये है कि OBC वर्ग को साधने में कौन होगा कामयाब ?
ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश में सियासी दंगल जारी है। विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद भी इस मामले पर बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे के आमने-सामने हैं। बीजेपी सरकार और विपक्षी कांग्रेस, दोनों आरक्षण के मामले में OBC को अपने पाले में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
विधानसभा में हंगामे और कांग्रेस के आरोपों के बाद बीजेपी सरकार इस वर्ग को बताना चाहती है कि कोर्ट में इसकी लड़ाई मजबूती से लड़ी जा रही है।
Read More: न जज…न कटघरा, फिर भी फैसले खरे…ऐसी अदालत जहां नागों के सताए लोगों को मिलता है इंसाफ
सीएम शिवराज ने बीते दिनों ओबीसी वर्ग के बड़े नेताओं के साथ जो रणनीति बनाई उसके मुताबिक तय किया गया कि हाईकोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील तुषार मेहता को बुलाएंगे। हाईकोर्ट में एक सितंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से प्रकरण की अंतिम सुनवाई कर फैसला करने का आवेदन दिया जाएगा।
Read More: क्या आपके खाते में भी नहीं आ रही LPG सिलेंडर की सब्सिडी? तो ऐसे करें चेक
मध्यप्रदेश में ओबीसी के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण नियत है। दो साल पहले 24 जुलाई 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की बात कही। इसके लिए सरकार विधेयक भी लाई, जिसे तत्कालीन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन सरकार के इस फैसले पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया.. ये रोक अभी भी बरकरार है। अब कांग्रेस आरोप लगा रही है कि शिवराज सरकार आरक्षण पर कोर्ट में ठीक तरह से पक्ष नहीं रख रही है। वहीं बीजेपी ने काउंटर अटैक किया कि कांग्रेस आरक्षण का विधेयक सिर्फ वोट बैंक के लिए लेकर आई थी।
मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग की भागीदारी आधी आबादी की है, लिहाजा पिछड़े वर्ग के आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपने तरीके से सियासी लाभ लेना चाहती है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर पर जिस तरह से बहस छिड़ी है, उससे ये कहना गलत नहीं होगा कि एमपी में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में ओबीसी कार्ड खेलने की पूरी तैयारी है। लेकिन सवाल फिर वही है कि क्या चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में 27 फीसदी आरक्षण पर मुहर लगेगी?
Read More: बेरोजगारी भत्ते पर आरोपों की सियासत! जो वादा किया गया था और उस दिशा में क्या काम हुआ?