रिपोर्ट- नवीन कुमार सिंह, भोपाल: Whose digital weapon is stronger साल 2023 का चुनाव किसी के लिए भी आसान नहीं होगा, क्योंकि 2018 के नतीजों और 2020 के उपचुनाव के नतीजों ने दोनों ही दलों को अपनी जमीनी हालात का आईना दिखाया है। इसके अलावा साल-दर-साल सोशल मीडिया के बढ़ते दौर में चुनावी युद्ध भी अब फिजिकल के साथ-साथ डिजिटली लड़ा जाना है। इसके लिए बीजेपी ने अपने संगठन एप के जरिए 65 हजार से अधिक बूथों का डिजिटल डाटा तैयार करने का दावा किया है तो दसरी तरफ कांग्रेस ने प्रदेश के 65 हजार बूथों को डिजिटल करने की मुहिम शुरू की है, जिसमें लगभग 70 फीसदी काम भी पूरा करने का दावा है। सवाल ये कि चुनावी वॉर में किसके डिजिटल हथियार ज्यादा मजबूत हैं?
Whose digital weapon is stronger मिशन 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस न केवल मैन्युअली बल्कि डिजिटल वार के लिए पूरी तरह से तैयार है। एक दूसरे की घेराबंदी करने दोनों पार्टियां बूथ लेवल पर डिजिटल फौज तैयार कर रही है। सत्तारूढ़ बीजेपी की बात करे तो संगठन एप के जरिए 65 हजार से अधिक बूथों का डिजिटल डाटा तैयार किया है, जिसे एक सिंगल क्लिक में मोबाइल पर भी देखा जा सकता है। डिजिटल बूथों में तब्दील संगठन एप का उपयोग पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में करेगी। पार्टी के सभी विधायक, सांसद, पार्टी के पदाधिकारियों के फेसबुक और ट्विटर पेज पर केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों के साथ-साथ विरोधी पार्टी पर पलटवार की रणनीति भी तैयार है।
दूसरी ओर कांग्रेस भी जानती है कि अगला चुनाव जमीन पर कम मोबाइल पर ज्यादा लड़ा जाएगा। लिहाजा पार्टी को बूथ लेवल पर डिजिटल करने की तैयारी तेज़ कर दी है। लगभग 70 फीसदी काम भी पूरा हो चुका है। पार्टी को उम्मीद है कि अगले विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस सोशल मीडिया के जरिए हर घर और हर वोटर तक अपनी कनेक्टिविटी बना लेगी। कांग्रेस के पास ट्विटर में फिलहाल 10 लाख फॉलोअर हैं। जबकि बीजेपी के पास 9 लाख 50 हजार फॉलोअर ही हैं। हालांकि फेसबुक पेज पर बीजेपी 9 लाख 40 हजार 636 फॉलोअर के साथ कांग्रेस के 4 लाख 60 हजार फॉलोअर के मामले में दोगुनी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी पार्टी के हर अभियान और आंदोलन को आईटी औऱ सोशल मीडिया से जोड़ने की पूरी कोशिश की है।
हालांकि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस आईटी सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर दो कदम पीछे नजर आती है। 2023 के विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी की तैयारियां जिस तरीके से नज़र आ रही है उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस को फिलहाल और काम करने की ज़रुरत है। खासकर संगठन को एक प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए कांग्रेस को और भी पसीना बहाना पड़ सकता है। हरहाल ये तो तय है कि जो पार्टी सोशल मीडिया पर अपने आप को जितना मजबूत करेगी, वो उतनी ज्यादा मजबूती से अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में सफल होगी।