रिपोर्ट- नासिर गौरी, ग्वालियर: every 8th person has a gun चंबल में हथियारों को हमेशा ही स्टेटस सिंबल माना जाता रहा है। कंधे पर लाइसेंसी बंदूक होना ही चाहिए। चाहे इसके लिए जमीन बेचनी पड़े या फिर कोई और तरीका। वहीं अगर लाइसेंसी नहीं है, तो अवैध हथियार तो होगा ही। यही कारण है कि एमपी में सबसे ज्यादा बंदूकें चंबल इलाके में हैं। आज हालात ये है कि ग्वालियर में लाइसेंसी हथियार 33 हजार 700 तक पहुंच गए हैं, जो कि प्रदेश के 52 जिलों में सबसे अधिक है। अगर अनुमान लगाया जाएं तो ग्वालियर के हरे 8वें व्यक्ति के पास बंदूक है, जो घातक है।
every 8th person has a gun पहले जरा इस वायरल वीडियो को देखें। एक दुल्ह अपनी नई जिंदगी की शुरुआत स्टेज पर फायरिंग से कर रही है। ग्वालियर-चंबल अंचल में बंदूक को स्टेटस सिंबल माना जाता है, यहां हथियारों की संख्या करीब डेढ़ लाख है, जो कि प्रदेश में जारी लाइसेंस का 38 फीसदी है। इससे साफ जाहिर होता है कि हथियारों का सबसे ज्यादा क्रेज ग्वालियर-चंबल संभाग में है। मौजूदा स्थिति में FB-WhatsApp जैसे सोशल मीडिया में एक्टिव जेनरेशन में भी विरासत में मिला हथियारों का क्रेज नजर आ रहा है।
बढ़ते बंदूक के क्रेज को लेकर हर वर्ग चिंतित है, क्योंकि यहां होने वाले वारदातों में इसका इस्तेमाल जमकर होता है। हथियारों के क्रेज का अंदाजा इसी से लगता है कि कलेक्टर, एडीएम से मिलने वाला हर तीसरा व्यक्ति लाइसेंस की फरियाद करता है। वहीं इस मुद्दे पर भी राजनीति जमकर होती है।
लाइसेंसी हथियार का शौक सिर्फ आम लोग या जन प्रतिनिधियों को ही नहीं है, अफसर और उनकी पत्नियों को भी है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और निगम आयुक्त किशोर कन्याल के नाम भी पिस्टल-रिवॉल्वर का लाइसेंस है। लाइसेंसी हथियार रखने वाले अफसरों की सूची में ग्वालियर के एसडीएम सहित कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
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