ग्वालियर, 24 दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक घर शिक्षा का केंद्र बन गया है, जहां पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय बच्चों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है और उनकी याद में एक पुस्तकालय भी है।
शासकीय गोरखी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भी उनके जैसे काव्यात्मक मन वाले होनहार छात्रों को तैयार कर रहा है। इसी स्कूल से वाजपेयी ने पढ़ाई की थी।
वाजपेयी की जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर उन्हें याद करते हुए गोरखी स्कूल की प्रधानाचार्य राजबाला माथुर ने कहा, ‘दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्र और अच्छे लेखक थे। उनके शब्दों का जादू उनके स्कूली दिनों से ही स्पष्ट था और यह स्कूल के शिक्षकों द्वारा बताया गया था।’
प्रधानाचार्य ने कहा कि स्कूल अब पूरी तरह से बदल गया है और ‘स्मार्ट’ बन गया है, जहां छात्रों को ब्लैकबोर्ड के बजाय डिजिटल बोर्ड पर पढ़ाया जा रहा है। लेकिन आज भी स्कूल से जुड़ी वाजपेयी की यादें देखी जा सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि मैं उस स्कूल में काम कर रही हूं जहां भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने पढ़ाई की। स्कूल में उनके जैसे कई छात्र हैं जो बहुत ही होनहार और ऊर्जावान हैं; जो वर्तमान परिस्थितियों के साथ-साथ सुंदर चीजों का वर्णन करने के लिए खुद को काव्यात्मक तरीके से व्यक्त करते हैं।”
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि स्कूल के छात्रों के बीच कहीं न कहीं उनकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है। माथुर ने कहा कि उनकी जयंती भी हर साल यहां मनाई जाती है।
इसी तरह, कमल सिंह का बाग इलाके में स्थित वाजपेयी का पैतृक घर उनकी यादों को संजोए हुए है और उनके सपने को साकार कर रहा है। आज भी पूर्व प्रधानमंत्री के पिता की याद में छात्रों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है। शिक्षिका ज्योति पांडे ने कहा कि इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
उन्होंने कहा, ‘घर में पुस्तकालय भी है और छात्रों के लिए कंप्यूटर इंस्टीट्यूट भी है। इसमें एक रीडिंग रूम है, जहां लोग देश-दुनिया की ताजा खबरें जान पाते हैं। कई साल बीत गए, लेकिन आज भी उनके घर में वाजपेयी के व्यक्तित्व की झलक देखने को मिलती है, जो उनके जीवन से जुड़ी कई कहानियां बयां करता है। उनकी जिंदगी सादा जीवन और उच्च विचार का उदाहरण थी।’
बहादुरा स्वीट्स के मालिक विकास शर्मा ने बताया, ‘वाजपेयी को खाने-पीने का बहुत शौक था। बहादुरा के लड्डू और चाची के मंगोड़े उन्हें बेहद पसंद थे। जब भी कोई ग्वालियर से दिल्ली जाता था, तो उनके लिए ये दोनों व्यंजन ले जाना नहीं भूलता था।’
भारत रत्न से सम्मानित वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। तीन बार प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी का अगस्त 2018 में निधन हो गया था।
भाषा दिमो नोमान
नोमान