धार में भेजा गया यूनियन कार्बाइड का अपशिष्ट जहरीला नहीं है : मोहन यादव |

धार में भेजा गया यूनियन कार्बाइड का अपशिष्ट जहरीला नहीं है : मोहन यादव

धार में भेजा गया यूनियन कार्बाइड का अपशिष्ट जहरीला नहीं है : मोहन यादव

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Modified Date: January 2, 2025 / 04:44 PM IST
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Published Date: January 2, 2025 4:44 pm IST

भोपाल/धार, दो जनवरी (भाषा) भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से अपशिष्ट को निपटान के लिए धार में भेजे जाने पर विरोध के बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह जहरीला नहीं है और इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री यादव ने भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन किए गए हैं और अपशिष्ट को नष्ट करने की प्रक्रिया में एक सुरक्षित तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि धार के संरक्षक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय उस जिले के लोगों से बात करेंगे और जानकारी साझा करेंगे कि अपशिष्ट ‘बिल्कुल जहरीला’ या हानिकारक नहीं है।

भोपाल गैस त्रासदी के चालीस साल बाद, बंद हो चुके यूनियन कार्बाइड कारखाने से 377 टन अपशिष्ट को निपटान के लिए धार जिले में पीथमपुर की एक इकाई में भेजा गया है। बुधवार रात इसे करीब नौ बजे 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के जरिए भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ले जाया गया।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच वाहन बृहस्पतिवार सुबह करीब 4.30 बजे पीथमपुर स्थित एक कारखाने पहुंचे, जहां कचरे का निपटान किया जाएगा।

एक संगठन के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने कचरे को वहां स्थानांतरित किए जाने के खिलाफ पीथमपुर में विरोध रैली निकाली। उन्होंने दावा किया कि पीथमपुर में कचरे का निपटान वहां के निवासियों और पर्यावरण के लिए असुरक्षित है।

प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को ‘पीथमपुर बंद’ का भी आह्वान किया।

इंदौर से 30 किलोमीटर दूर स्थित शहर पीथमपुर में रविवार को भी बड़ी संख्या में लोगों ने यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान का विरोध करने के लिए विरोध मार्च निकाला। पीथमपुर की आबादी करीब 1.75 लाख है।

दो और तीन दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्टरी से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई थी, जिसमें कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित हुए थे। इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने तीन दिसंबर, 2024 को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बावजूद भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्टरी स्थल को खाली न करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई। यह देखते हुए कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी, अधिकारी ‘निष्क्रियता की स्थिति’ में हैं। उच्च न्यायालय ने कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की।

उच्च न्यायालय ने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया तो उसके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही की जाएगी।

भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बुधवार को कहा, ‘‘यदि सब कुछ ठीक पाया जाता है, तो कचरे को तीन महीने के भीतर जला दिया जाएगा। अन्यथा, इसमें नौ महीने तक का समय लग सकता है।’’

उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ कचरे को पीथमपुर स्थित निपटान इकाई में जलाया जाएगा और अवशेष (राख) की जांच की जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि कोई हानिकारक तत्व बचा है या नहीं।

उन्होंने बताया कि अपशिष्ट निपटान प्रक्रिया से निकलने वाला धुआं विशेष चार-परत फिल्टर से होकर गुजरेगा, ताकि आसपास की हवा प्रदूषित न हो। एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है कि जहरीले तत्वों का कोई निशान नहीं बचा है, तो राख को दो-परत वाली झिल्ली से ढक दिया जाएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए उसे जमीन में दबा दिया जाएगा कि यह किसी भी तरह से मिट्टी और पानी के संपर्क में न आए।

सिंह ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की देखरेख में विशेषज्ञों की एक टीम इस प्रक्रिया को अंजाम देगी।

भाषा

दिमो, रवि कांत

मनीषा रवि कांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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