Umaria News: नौनिहालों की जान पर मंडराया खतरा, मानसून की पहली बारिश में ही गिरी स्कूल की बिल्डिंग, लापरवाही आई सामने

Umaria News: नौनिहालों की जान पर मंडराया खतरा, मानसून की पहली बारिश में ही गिरी स्कूल की बिल्डिंग, लापरवाही आई सामने

  • Reported By: Omprakash Gupta

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  • Publish Date - July 4, 2024 / 10:14 AM IST,
    Updated On - July 4, 2024 / 10:23 AM IST

उमरिया। Umaria News:  उमरिया जिले के पाली जनपद अंतर्गत आने वाले मुदरिया ग्राम पंचायत के कुमुरदू में पहली बारिश में ही 2006 में बनी एक प्रायमारी सरकारी स्कूल की छत धराशाई हो गई जिसमें कोई जन हानी तो नहीं हुई है, लेकिन यह घटना सरकारी सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। दरअसल यह घटना पाली जनपद के ग्राम कुमरदू की है, जिसमें नौनिहालों की जान पर बन आई है। नौनिहाल अपनी जान जोखिम में डाल कर पढ़ने को मजबूर है, क्योंकि जर्जर स्कूल की भवन फिर से कभी फिर से गिर सकती है और दुर्घटना हो सकती थी।

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जिले में हैं 90 से ज्यादा स्कूल

बता दें स्कूल में खाना बनाने वाली महिलाओं ने जानकारी देते हुए बताया कि, विद्यालय में अध्ययन करने वाले बच्चे इसी कमरे मे भोजन करते थे जो अभी गिरी है। कुमरदू में हुई इस घटना के बाद शिक्षा विभाग की एक बड़ी लापरवाही खुलकर सामने आ गई है। विभाग के मुताबिक जिले में इस प्रकार के 96 विद्यालय मौजूद हैं जहां परिसर में कोई न कोई कमरा क्षतिग्रस्त है और बकायदा लोक निर्माण विभाग ने कमरों का भौतिक सत्यापन कर उन्हे डिस्मेंटल करने का सर्टिफिकेट दिया हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन जर्जर भवनों को गिराया क्यों नहीं जा रहा है या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार किया जा रहा है।

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पंचायत को सौंपा जिम्मा

प्रशासन का दावा है ऐसे चिन्हित कक्षों में छात्रों के प्रवेश पर मनाही है, लेकिन मासूम छात्र कभी भी खेल कूद के बहाने अगर जर्जर भवन में चले गए तब क्या होगा। जिला शिक्षा केंद्र से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक सन 2000 से लेकर 2006 के बीच निर्मित इन विद्यालयों में से जिले के 96 विद्यालय पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा किए गए भौतिक सत्यापन में जीर्ण शीर्ण और उपयोगिता विहीन पाए गए और विभाग के बकायदा इन्हें डिस्मेंटल किए जाने का प्रस्ताव भी दे दिया है और जिला शिक्षा केंद्र के द्वारा इस जीर्ण शीर्ण विद्यालयों को गिराने का जिम्मा पंचायतों को दे रखा है, लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भी पंचायतों को दुर्घटना संभावित जर्जर विद्यालयों को डिस्मेंटल करने में कोई रुचि नहीं दिखाई दी। लिहाजा विद्यालयों में अभी भी दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है।

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कुमरदू के विद्यालय में हुई घटना के बाद विद्यालय में अध्यनरत छात्रों के साथ उनके अभिवावक भी खौफ जदा है और अब इस घटना के बाद किसी भी सूरत में विद्यालय में बच्चों को भेजने को तैयार नहीं है। बता दें कि कुमरदू विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक मे 41 छात्र रजिस्टर्ड है, लेकिन इस घटना के बाद से महज 8 से 10 बच्चे ही विद्यालय पहुंच रहे हैं अगर जिले के जिम्मेदार अधिकारी इन बच्चों के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कराता है तो विद्यालय छात्र विहीन हो जाएगा।

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अधिकारियों को दी गई जानकारी

 Umaria News: बहरहाल इस घटना के कारण से वहा कोई जन हानि नहीं हुई लेकिन जिले मे हुई पहली बारिश ने यह कमाल कर दिया और शासकीय बिल्डिंग के हाल को लोगों के सामने दिखा दिया। जिसने भी यह घटना को देखा वह हैरान रह गया। वहीं स्कूल के शिक्षकों ने इसकी जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को दी है। हालांकि यह बिल्डिंग किस वजह से गिरी, क्या कारण था इसकी जानकारी निकलकर सामने नहीं आ पाई है लेकि बिल्डिंग गिरने की वजह से बड़ा हादसा जरूर टल गया है। अब सवाल उठता है कि 2006 में बनी एक बिल्डिंग धराशाई हो गई और अब जिस बिल्डिंग में स्कूल संचालित हो रहा है उसमें भी क्रेक आ गए है और स्कूल संचालन के दौरान अगर यह बिल्डिंग की धराशाई होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।

 

 

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