भोपाल : Delisting Campaign : धर्मांतरण के खिलाफ अब आदिवासी एकजुट होने लगे हैं। प्रदेशभर के आदिवासियों ने अपने वजूद पर खतरा बताते हुए सरकार से डिलिस्टिंग कानून बनाने की मांग की है। आदिवासी इस बात से नाराज हैं कि धर्म बदल चुके लोग आरक्षण और दूसरी सुविधाओं का लाभ उठाकर.. आदिवासियों के हक पर डाका डाल रहे हैं।
Delisting Campaign : मध्यप्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ जंग छिड़ गई है। एक तरफ हिंदूवादी संगठन सनातन धर्म छोड़ने वालों की घर वापसी करा रहे हैं तो दूसरी ओर धर्मांतरण कर चुके आदिवासियों के खिलाफ डिलिस्टिंग अभियान चलाया जा रहा है। आदिवासी संगठनों ने बताया कि झांसा देकर धर्म बदलवाया जा रहा है लेकिन सरकारी दस्तावेजों में बदलाव नहीं होने के कारण ऐसे लोग मूल आदिवासियों का हक मार रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में करीब 4 लाख आदिवासी धर्म बदल चुके हैं लेकिन दस्तावेजों में सिर्फ 2,000 लोगों के ही धर्म परिवर्तन का जिक्र है। यानी करीब 3 लाख 98 हजार लोग धर्म बदलने के बावजूद आरक्षण और दूसरी सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं।
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Delisting Campaign : एमपी में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों खुद को आदिवासी हितैषी बताने में जुटी है।
Delisting Campaign : मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी आदिवासी वोट बैंक से ही मिलती है। 2018 के चुनाव में इसी वोट बैंक के करवट लेने से सत्ता बदल गई थी। अब सवाल ये है कि आदिवासी फिर से हैं नाराज.. किस पर गिरेगी गाज ?