नंद किशाेर पवार, बैतूल:
Village of Soldiers मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की आमला तहसील के अंतर्गत आने वाला अंधारिया गांव फौजियों का गांव के नाम से जाना जाता है। ये गांव जिले का एक मात्र ऐसा गांव है जहां पर हर दूसरे घर का बेटा, बहु या बेटी सैन्य विभाग में भर्ती होकर देश की सेवा में लगा हुआ है। गांव के लोगों में देश भक्ति और देश सेवा का ऐसा जज्बा है कि परिवार का इकलौता चिराग होने के बाद भी वह सेना में भर्ती होकर देश सेवा में लगा हुआ है। वहीं कुछ परिवार ऐसे हैं जिनके घर के दो से लेकर पांच सदस्य और कहीं तो सात सदस्य भी सेना में सेवा दे रहे है।
ग्रामीणों की माने तो इस गांव के 200 सौ से ज्यादा बेटे, बेटियां और बहुएं आर्मी,वायु सेना, एसएफ, सीआईएसएफ,सीआरपीएफ, बीएसएफ,रेलवे पुलिस राज्य पुलिस में कार्य कर देश की सेवा कर रहे है। वहीं गांव के बुजुर्गो की बात करे तो यहां के बुजुर्गो ने भी देश को आजादी दिलवाने वाले स्वतंत्रता संग्राम और आजादी मिलने के बाद हुए द्वितीय विश्व युद्ध में भी अपना योग दान दिया है। यहां के नौजवान सेना में जवान के पद पर भर्ती होने के बाद अपनी कार्य क्षमता के आधार पर सेना में वर्ष 1965 में कमीशन प्राप्त कर मेजर जनरल तक का पद हासिल कर अपनी सेवा दे चुके है।
गांव के युवाओं में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। वहीं देश की सेवा कर अपने जान की कुर्बानी देने में भी इस गांव के एक जवान का नाम शामिल जो 1997 में गुवाहाटी में हुए एक हमले शहीद होकर अपने गांव की माटी का नाम रौशन कर गया । आज भी इस गांव के युवा फौज में भर्ती होने के लिए रोजाना सुबह शारीरिक कसरत करते है। स्कूली बच्चे भी पढ़ाई करके फौज में भर्ती होकर गांव के बड़ो की तरह देश की सेवा करना चाहते है।
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Village of Soldiers ये गांव जात पात और छुआ छूत के बंधन से परे है यहां समरसता की बयार बहती हुई नजर आती है जब भी गांव या देश पर कोई संकट को घड़ी नज़र आने की बात सामने आती है तो गांव के लोग एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आते है। ये गांव देशप्रेम की मिसाल पेश करता है।