Sendhwa News: सिस्टम की लाचारी..! मध्यप्रदेश के इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, खराब हो रहा बच्चों का भविष्य

There is no government or private school in Badi Bijasan मध्यप्रदेश के इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, खराब हो रहा बच्चों का भविष्य

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  • Publish Date - July 19, 2023 / 05:26 PM IST,
    Updated On - July 19, 2023 / 05:26 PM IST

There is no government or private school in Badi Bijasan

सेंधवा। सरकारें बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए बड़े-बड़े वादे करती है। लाखों करोड़ो रूपये योजनाओं में लगाती है और धरातल पर यह योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। बच्चे पढ़े-बढ़े, हर बच्चा स्कूल जाए.. इसको लेकर प्रदेश में स्कूल चलें हम अभियान की भी शुरुवात कर दी है।

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बच्चों को हर तरह की सुविधा देने के वादे के साथ सीएम ने जनप्रतिनिधियों से सामाजिक, व्यापारिक, उद्योगपति हर किसी से अपील की के एक दिन जहां से शिक्षा ली उस स्कूल में जाये और बच्चों को समय दे तो उनमें ऊर्जा आएगी बाकी जो सुविधाएं देना है हम दे रहे, लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा के जब निजी ट्रस्ट थी तो वहां 239 बच्चों की मुफ्त पढ़ाई-लिखाई के साथ रहने खाने की भी व्यवस्था थी, लेकिन ट्रस्ट का प्रशासन के अधीन होते ही अब कैसी सुविधाएं हैं? कैसा विकास मिल रहा है या ये कहें के शिवराज के स्कूल चले हम अभियान का क्या हाल है देखिए इस पर हमारी स्पेशल रिपोर्ट..

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सेंधवा के पास पानसेमल विकास खण्ड का अंतिम गांव बिजासन जहां माँ बड़ी बिजासन का भव्य मंदिर है। इस मंदिर में एमपी सहित महाराष्ट्र और गुजरात तक के हजारों लाखों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का जिक्र खबर में इसलिए भी जरूरी है क्यों के इससे अंदाज लगाया जा सकता है के ये कोई सुदूर इलाका या पहाड़ी क्षेत्र नहीं है, जहां किसी की नजर न गई हो या आला अफसरों को जानकारी न हो। ये मंदिर जिले का प्रसिद्ध मंदिर है और यंहा प्रशासनिक दौरे भी चलते रहते हैं। क्योंकि यहां नवरात्रि में तो लाखों श्रद्धालु आते ही है और हर दिन लोगों का आना जाना लगा रहता है। बावजूद यहां के मासूम नेनिहालों पर किसी की नजर नहीं जाती।

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यहां कोई बच्चा लकड़ी बीनकर तो कोई जंगल में भेड़-बकरी को चराकर अपना भविष्य खराब कर रहे हैं। क्योंकि, यहां अब कोई स्कूल नहीं है। एक आंगनवाड़ी है जो बन्द रहती है। कोरोना काल के पहले मंदिर ट्रस्ट के द्वारा 8वीं तक स्कूल का संचालन किया जाता था, जिसमें बिजासन सहित आसपास के करीब 250 जनजातीय बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन कोरोना के बाद से ट्रस्ट ने भी स्कूल का संचालन बन्द कर दिया तब से  बच्चे यूं ही भटकते नजर आते हैं। जब उनसे पूछा तो एक ही जवाब  मिला, कि गरीबी है बाहर पढ़ने जा नहीं सकते या बच्चों को पढ़ा नहीं सकते। यहां स्कूल है नहीं इसलिए बकरी चरा रहे हैं। अगर स्कूल होती तो पढ़ाई करते।

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मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी मोहन जोशी से बात की तो उन्होंने बताया के 2011 से 2019 तक ट्रस्ट के द्वारा स्कूल संचालित की जाती थी, जिसमे आवासीय सुविधा भी थी। जहां बच्चों को भोजन भी दिया जाता था, लेकिन कोरोना के बाद सब बंद करना पड़ा। पहले खर्चा ट्रस्ट वहन करता था, लेकिन अब ट्रस्ट प्रशासन के अधीन हो चुका है औऱ प्रशासन ने अभी इस मामले पर कोई भी स्थिति स्पष्ठ नहीं की है। मतलब ट्रस्ट प्राइवेट था तो जनजातीय बच्चों को रहने, खाने-पढ़ने की निःशुल्क सुविधा व्यवस्था थी, लेकिन प्रशासन के अधीन आने के बाद सब कुछ बन्द हो गया है। ऐसा भी नही के प्रशासन को जानकारी नहीं है। जोशी कहते हैं, कि कई बार उनके द्वारा प्रशासन के सम्मुख मामला रखा गया, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया।

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इस मामले में सेंधवा कांग्रेस विधायक ग्यारसीलाल रावत ने कहा के प्रशासन की लापरवाही है। इतने समय से स्कूल बन्द पड़ा है। अधिकारी वसूली में दिनभर घूमते रहते है किसी को कोई परवाह नहीं मैने कलेक्टर को पत्र लिखा है। वही पानसेमल एसडीएम ने कहा के उनकी जानकारी में है के बिजासन में करीब 250 बच्चे पढ़ते थे जो अब स्कूल बन्द होने से पढाई नहीं कर पा रहे है। ट्रस्ट से बात कर जल्द स्कूल शुरू करने का प्रयास करेंगे वही निवाली बीआरसी महेंद्र राठौड़ ने बताया के मामला संज्ञान में आने के बाद प्रपोजल बनाकर भेजा है जैसे स्वीकृति मिलते ही स्कूल शुरू कर दिया जाएगा। IBC24 से ओवेश अहमद शेख की रिपोर्ट

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