मप्र में भाजपा के वर्चस्व का वर्ष, हाथियों की मौत और पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट भी सुर्खियों में रहा

मप्र में भाजपा के वर्चस्व का वर्ष, हाथियों की मौत और पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट भी सुर्खियों में रहा

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  • Publish Date - December 24, 2024 / 05:44 PM IST,
    Updated On - December 24, 2024 / 05:44 PM IST

( मनीष श्रीवास्तव )

भोपाल, 24 दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश की राजनीति पर पूर्ण वर्चस्व की भाजपा की चाहत वर्ष 2024 में पूरी हुई, जब उसने राज्य की सभी 29 लोकसभा सीट पर जीत हासिल की जिनमें कांग्रेस का आखिरी गढ़ छिंदवाड़ा भी शामिल है।

भाजपा की इस प्रचंड विजय के बाद अब मुख्य विपक्षी दल के सामने एक समय मजबूत उपस्थिति वाले इस राज्य में खुद को फिर से स्थापित करने का कठिन कार्य शेष रह गया है।

वर्ष 2000 में राज्य के विभाजन के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार लोकसभा चुनाव में ‘क्लीन स्वीप’ किया और उसने यह उपलब्धि विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के महज छह माह बाद हासिल की।

हालांकि, वर्ष के अंत में भाजपा की जीत की यह चमक कुछ फीकी पड़ती दिखी जब विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में हार और अमरवाड़ा और बुधनी सहित अन्य उपचुनावों में मामूली अंतर से जीत हासिल हुई।

कांग्रेस को मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में अपनी सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा और उसे एक भी सीट नहीं मिली। भाजपा न केवल कांग्रेस के दिग्गज नेता कमल नाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा पर अपना परचम लहराने में सफल रही, बल्कि पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी गृह क्षेत्र राजगढ़ में हार का सामना करना पड़ा।

मध्यप्रदेश ने 2024 में दो नदी जोड़ो परियोजनाओं को शुरू कर देश में बढ़त हासिल की जोकि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वकांक्षी परियोजनाओं में शुमार थी।

इस वर्ष फरवरी में हरदा पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 200 अन्य घायल हो गए और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में 10 जंगली हाथियों की मौत ने भी राज्य को सुर्खियों में रखा।

श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में अफ्रीकी चीते अपने स्थानांतरण के दो साल से अधिक समय बाद भी खबरों में बने रहे।

दिसंबर की शुरुआत में केएनपी में चीते वायु और अग्नि को जंगल में छोड़ा गया था। हालांकि, नवंबर के अंत में राष्ट्रीय उद्यान से बुरी खबर आई जब अफ्रीकी चीता नीरवा के दो शावक मृत पाए गए।

राज्य से इस साल की सबसे बड़ी राजनीतिक खबर लोकसभा चुनाव में भाजपा का शानदार प्रदर्शन रहा।

वर्ष 2019 में भाजपा ने 29 में से 28 लोकसभा सीट जीती थीं और कांग्रेस छिंदवाड़ा सीट के अपने दुर्ग को बचाने में कामयाब रही थी, लेकिन पांच साल बाद इसे भी भाजपा छीनने में सफल रही।

वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल गुना और छिंदवाड़ा सीट पर विजयी रही थी।

अविभाजित मध्यप्रदेश में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की सभी 40 लोकसभा सीट जीती थीं।

मध्यप्रदेश में भाजपा ने इस बार न केवल सभी 29 सीट जीतीं बल्कि उसने विदिशा (शिवराज सिंह चौहान), इंदौर (शंकर लालवानी) और गुना (ज्योतिरादित्य सिंधिया) सीट पर मतों के अंतर के लिहाज से रिकार्ड भी बनाया।

चार कार्यकाल तक मप्र के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिहं चौहान लोकसभा चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और उनका राष्ट्रीय राजनीति में आगाज हुआ। सीहोर जिले के एक किसान परिवार में जन्मे भाजपा के दिग्गज नेता अब केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हैं।

लोकसभा चुनाव के पांच महीने बाद हुए विधानसभा उपचुनाव भाजपा के लिए मिले-जुले परिणाम वाले रहे।

अमरवाड़ा (एसटी) विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह लोकसभा चुनाव से पूर्व इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ दल में शामिल हुए और उन्होंने नवंबर में इस सीट पर बतौर भाजपा प्रत्याशी उपचुनाव लड़ा। इसमें शाह मामूली अंतर से जीत हासिल कर सके।

कमलनाथ के वफादार शाह ने 3,252 मतों से जीत दर्ज की, जबकि 2023 में अमरवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने 25,086 मतों से जीत दर्ज की थी।

इसी तरह लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में आए कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता रामनिवास रावत उपचुनाव में विजयपुर सीट पर 7,364 मतों से पराजित हुए। भाजपा में शामिल होने के बाद रावत को प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री पद से नवाजा गया था।

बुधनी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत भी प्रभावशाली नहीं रही और यहां भाजपा उम्मीदवार रमाकांत भार्गव महज 13 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीते। जबकि इस सीट पर 2023 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी।

वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने राज्य में पार्टी का नेतृत्व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को सौंप दिया जिन्होंने कमल नाथ की जगह ली थी।

महत्वाकांक्षी केन-बेतवा राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना, जिसकी दिसंबर के अंत तक आधारशिला रखी जाएगी, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर जिलों को लाभान्वित करेगी।

एक बार पूरा हो जाने पर यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में 10.62 लाख हेक्टेयर में किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी, जो मध्य प्रदेश (8.11 लाख हेक्टेयर) और उत्तर प्रदेश (2.51 लाख हेक्टेयर) में फैला हुआ है।

राज्य सरकार के अनुसार, यह परियोजना मध्यप्रदेश की 41 लाख आबादी और उत्तर प्रदेश की 21 लाख आबादी के लिए पीने के पानी का स्रोत भी होगी।

इस राष्ट्रीय उपक्रम की तर्ज पर मप्र सरकार ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर-मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना जिले लाभान्वित होंगे।

इस परियोजना से मप्र में 6.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 दिसंबर को जयपुर से इस परियोजना का शिलान्यास किया था।

इस वर्ष 6 फरवरी को हरदा जिले में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट में 11 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हो गए, जिससे राज्य में सुरक्षा और लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं पर सवाल उठे।

दो चीता शावकों की मौत ने वन्यजीव प्रेमियों को निराश किया।

एक वनपाल ने कहा कि सितंबर 2022 में केएनपी में लाए गए चीतों ने नये वातावरण में खुद को समायोजित कर लिया है और वे स्वस्थ हैं। अधिकारी ने कहा कि केएनपी में सभी वयस्क चीते और उनके 12 शावक स्वस्थ हैं, उन्होंने कहा कि केएनपी में चीतों की गिनती पिछली बार 24 बताई गई थी।

उमरिया जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में अक्टूबर के अंत में सिर्फ तीन दिनों के अंतराल में 10 हाथियों की मौत हुई। प्रारंभिक जांच में संभवतः जहर दिए जाने की ओर इशारा किया गया।

भाषा दिमो आशीष पवनेश

पवनेश