छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बागेश्वर धाम के पीठाधिश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री अब पूरी दुनिया में एक मशहूर चेहरा बन चुके है। उन्होंने हिंदू के पक्ष में सनातन को उठानें के लिए सबकों अपनी ओर आकर्षित भी कर लिया है। इस समय धीरेंन्द्र शास्त्री के ज्ञान पर कई सवाल उठाए जा रहे है। पूरी टीवी चैनलों पर इन दिनों पंडित धीरेंद्र शास्त्री के चर्चों का बोलबाला है। कई संतों ने पक्ष तो कई संतों ने धीरेंद्र शास्त्री का विरोध किया है। उनके चमत्कारों को गलत ठहराया जा रहा है। तो वहीं पंडित जी ने मीडिया के सामने आकर ताल ठोक दिया है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कई वीडियो वायरल होते है। हम सभी ने पंडित जी के मुख से बुंदेली का एक शब्द जरूर सुना होगा ‘ठठरी’। आखिर पंडित जी इस शब्द का बार बार उपयोग क्यों करते हैं। बता दूं कि ‘ठठरी’ बुंदेली एक गाली वाला शब्द है। जो बुंदेलखंड में अधिकतर महिलाएं इसका उपयोग करती है। लेकिन देखा जाए तो अगर ‘ठठरी’ बुंदेली का गाली शब्द है तो पंडित जी इस शब्द का उपयोग आखिर क्यों करते है। किसी भी कथावाचक को व्यास गद्दी पर बैठते हुए गाली का उपयोग तो करना नहीं चाहिए फिर पंडित जी ठठरी का शब्द का उपयोग क्यों करते है।
ठठरी का मतलब होता है – अर्थी ( अरथी )। अर्थी मतलब शव को श्मशान तक ले जाने के लिए बाँस और लकड़ी से बनायी गई आयताकार संरचना, जिसे अंतशय्या; रत्थी; रक्षी आदि भी कहा जाता है। ठठरी के और कई अर्थ भी होते हैं जिनका उपयोग कई जगहों पर किया जाता है पर मुख्यतः ठठरी का अर्थ अरथी ही होता है।