भिण्ड। The dead do not even have a roof: मध्यप्रदेश सरकार गांंवों के ग्रामीणों का विकास, उनकी सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए हर साल खर्च करने का दावा करती है, लेकिन सिस्टम की सबसे शर्मनाक तस्वीर यह है कि मरने के बाद भी विधि विधान से अंंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पर मृतकों को एक अदद छत भी नसीब नहीं हो पाती है। मामला भिण्ड जिले का है। जिले के गोरमी थाना क्षेत्र के विजयगढ़ गांव में 58 वर्षीय बुजुर्ग का अंतिम संस्कार का वायरल हो रहा वीडियो इसका गवाह है। जहां टीन की चादर पकड़कर मृतक का अंतिम संस्कार करना पड़ता है। क्योंकि यहां के श्मशान घाट के नाम पर मात्र एक खुला स्थान है, बारिश के समय श्मशान घाट पर पहुचने के लिए रास्ता भी नही है। न ही कोई और जरूरी इंतजाम।
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The dead do not even have a roof: दरअसल, भिण्ड जिले के विजयगढ़ गांव में शासकीय सिस्टम की उस वक्त पोल खुल गई, जिस वक्त गुरुवार की शाम 4 बजे 58 बर्षीय वृद्ध भान सिंह भदौरिया की मौत हो गई। बारिश तेज हो रही थी। परिजन बारिश बंद के इंतजार में शव को एक दिन तक घर पर रखे रहे। चूंकि, बारिश तेज थी तो परिजन कुछ ज्यादा व्यवस्था कर नहीं सके। वह जैसे-तैसे मृतक के शव को लेकर श्मशान पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्हें कुछ नहीं मिला। उन्होंने यहां-वहां से लकड़ियां इकट्ठी की और चिता बनाई। अब समस्या खड़ी हुई कि चिता जलाएं कैसे, क्योंकि तेज बारिश में सबकुछ भीग रहा था। सिर ढंकने या शव को पानी से सुरक्षित रखने की कोई जगह भी नहीं थी।
The dead do not even have a roof: इसके बाद परिजनों और रिश्तेदारों ने वहां टीन की चादर पकड़ी और चिता के चारों ओर खड़े हो गए। इससे बारिश का पानी चिता तक नहीं पहुंचा, फिर मृतक की चिता को अग्नि देकर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सभी परिजन बारी-बारी से टीन की चादर पकड़ते जा रहे थे, क्योंकि आग से टीन का चादर गर्म हो रही थी। परिजनों ने इस परेशानी के बीच जैसे-तैसे अंतिम संस्कार किया। इस दौरान वे खुुद लगातार खुले मैदान में भीगते रहे। हालांकि यह तस्वीर सामने आने के बाद जिला पंचायत सीईओ ए के जैन का वही रटा रटाया बयान।