जबलपुर : village not changed 30 years सत्ता में बैठे सरकार के नुमाइंदे डिजिटल इंडिया और विकसित मध्यप्रदेश के कितने भी कसीदे क्यों न पढ़ें, लेकिन आज भी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी ग्रामीण इलाकों में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां विकास आज भी मुंह फेरे खड़ा है और विकास की राह ताके आज भी ग्रामीण इलाकों के लोग एक बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं। ऐसे ही कुछ बदहाल हालत हैं जबलपुर के पाटन जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बिलखरवा की कंचनपुर बस्ती की जहां लोग भारी बारिश के चलते चार दिनों बाद अपने घरों से बाहर निकल सके और बारिश बंद होने के बाद भी अपनी जान जोखिम में डालकर निकलने को मजबूर है।
ऐसा इसलिए क्योंकि कंचनपुर बस्ती के लोगों के पास कोई रास्ता नहीं था और जो एक रास्ता उनकी बस्ती से बाहर निकलता हैं उस रास्ते का पगडंडी नुमा पुल चार दिनों से जलमग्न है। कंचनपुर बस्ती में रहने वाले 35 से 40 परिवारों के हालत ये है कि रोजमर्रा का सामान लेने के साथ-साथ यदि बस्ती में कोई बीमार हो जाता है तो उसे अपनी जान से ही हाथ धोना पड़ता है साथ ही चार दिनों से स्कूल जाने वाले बच्चे भी अपने घरों में कैद रहे और बस्ती का कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जा पा रहा है।
village not changed 30 years ग्रामीण बताते हैं कि उनकी ऐसे हालात पिछले 30 सालों से है। ना कोई पक्का रास्ता है और नाले के ऊपर जो पुल बना है वह थोड़ी सी बारिश में डूब जाता है साथ ही बाकी दिनों में भी उस नाले के ऊपर बने पुल से कोई भी चार पहिया वाहन नहीं जा पता क्योंकि पुल की चौड़ाई महज दो से तीन फीट है। कंचनपुर बस्ती के लोग लगातार शासन प्रशासन से रास्ते और पुल की मांग करते आए हैं लेकिन मजदूरी कर जीवनयापन करने वाले इन लोगों की कहीं कोई सुनाई आज तक नहीं हुई।