mahakal corridor: Temple built in the sixth century

mahakal corridor : छठी शताब्दी में हुआ मंदिर का निर्माण, पृथ्वी की नाभि में विराजमान है “बाबा महाकाल”, जानें ज्योतिर्लिंग का इतिहास और रोचक तथ्य

mahakal corridor : मराठों के शासनकाल में उज्जैन में दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जिसमें पहला, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पुनः प्रतिष्ठित किया गया तथा यहां पर शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ पर्व कुंभ मेला स्नान की पूरी व्यवस्था हुई।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : October 11, 2022/1:10 pm IST

mahakal corridor : उज्जैन – महाकाल के इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में किया गया था। अगर इतिहास को पढ़ा जाए तो पता चलता है कि उज्जैन में 1107 से 1728 ई. तक यवनों का शासन हुआ करता था। इनके शासनकाल में लगभग 4500 वर्षों की हिंदुओं की प्राचीन धार्मिक परंपरा व मान्यताओं को पूरी तरह से खंडित व नष्ट करने का भरसक प्रयास किया। मराठा राजाओं ने मालवा क्षेत्र में आक्रमण करके 22 नवंबर 1728 मे अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। इसके बाद उज्जैन का खोया हुआ गौरव पुनः लौटा और सन 1731 से 1809 तक यह नगरी मालवा की राजधानी बनी रही। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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mahakal corridor : मराठों के शासनकाल में उज्जैन में दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जिसमें पहला, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पुनः प्रतिष्ठित किया गया तथा यहां पर शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ पर्व कुंभ मेला स्नान की पूरी व्यवस्था हुई। उज्जैन के लिए लोगो के लिए मंदिर एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि थी और फिर बाद में राजा भोज ने महाकालेश्वर मंदिर की पुरानी प्रतिष्ठा को वापस स्थापित किया बल्कि इसका भव्य निर्माण कराया।

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विक्रमादित्य के समय में राजधानी हुआ करती थी उज्जैन

mahakal corridor : मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुण्य सलिला शिप्रा नदी के तट के निकट भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान है। उज्जैन एक बहुत ही प्राचीतम शहर है और यह राजा विक्रमादित्य के समय में राजधानी हुआ करती थी। उज्जैन को अलग-अलग नामों उज्जैयिनी, अमरावती, अवंतिका नामों से भी जाना जाता रहा है। पुराणों में इसे सात मोक्षदायिनी नगरों हरिद्वार, वाराणसी, मथुरा, द्वारका, अयोध्या और कांचीपुरम में से एक माना जाता है

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महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग भारत में 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगोंमें से एक

mahakal corridor : कहा जाता है कि जो महाकाल भक्त है उसका काल कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उज्जैनी के श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग भारत में 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगोंमें से एक है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की गणना तीसरे स्थान पर आती है किंतु अगर प्रभाव की दृष्टि से देखा जाए तो इसका स्थान प्रथम पर है। ऐसा माना जाता है कि शिव के अनेक रूप हैं। भगवान शिव की आराधना करने से आपके मन की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। भगवान शिव पूरी पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर अनेक ज्योतिर्लिंगों के रूप में विराजमान है।

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उज्जैन की शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ कुम्भ मेला

mahakal corridor : उज्जैन की शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ कुम्भ मेला हर बारह वर्ष के उपरांत मनाया जाता है इस दिन यहां एक साथ 10 प्रकार के दुर्लभ योग बने होते हैं जिसमे आपको वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि सभी चीजे एक साथ देखने को मिल जाएंगी।

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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पृथ्वी स्थापित एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग

mahakal corridor : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग ही महत्व है। माना जाता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पृथ्वी स्थापित एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है। प्राचीन युग में पूरी दुनियां का एक मानक समय माना जाता था जोकि यही से निर्धारित होता था। यह ज्योतिर्लिंग जहां स्थापित है इसके शिखर से कर्क रेखा होकर गुजरती है। इसे पृथ्वी की नाभि स्थल की मान्यता मिली हुई है। इस श्लोक यह पता चलता है की आकाश में तारक लिंग प्रसिद्ध है , और पाताल की बात करे तो  हाटकेश्वर लिंग प्रसिद्ध है और अगर पृथ्वी पर देखा जाए तो महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग  ही एक मान्य ज्योतिर्लिंग है।

 

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