MP High Court: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस नियम को बरकरार रखने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें राज्य में एडमिशन स्तर की न्यायिक सेवा के उम्मीदवारों के लिए कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस या कानून स्नातक में 70 प्रतिशत अंक की पात्रता निर्धारित की गई।सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश HC के नियम पर मुहर लगाई और हस्तक्षेप से इंकार किया। कहा जज बनने के लिए 3 साल वकालत और 70% अंक ज़रूरी है।
MP High Court: बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के नियम को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा भर्ती नियम में संशोधन हुआ था। सिविल जज पात्रता में 3 साल प्रैक्टिस और LLB में 70% अंक की शर्त जोड़ी थी। HC ने कहा था ‘जज बनना केवल सपना नहीं होना चाहिए, न्यायपालिका में शामिल होने के लिए उच्चतम मानक ज़रूरी है।