अजय द्विवेदी की रिपोर्ट…
छिंदवाड़ा : Gotmar Mela Pandhurna : पांढुरना में हर साल आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का आयोजन आज किया जा रहा है। सुबह सावरगांव तथा पांढुरना के लोगों ने सत चंडी माई के दरबार में पूजन पाठ कर नदी के बीचो बीच झंडा स्थापित किया गया है। आज सुबह से ही मौसम बदला हुआ है और रिमझिम बारिश हो रही है जिसे देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। पांढुर्णा का विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला आज शुक्रवार को आयोजित किया जाएगा, जिसको लेकर प्रशासन के द्वारा धारा 144 लगा दी गई हैं।
Gotmar Mela Pandhurna : पांढुरना में हर साल गोटमार मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दो गांवों के लोग एक-दूसरे पर जमकर पथराव करते हैं। प्रेमी जोड़ों की कहानी से शुरू हुआ गोटमार मेला किवदंती है कि सालों पहले पांढुरना के लड़के ने साबर गांव की लड़की को अपने साथ प्रेम प्रसंग के चलते भगा कर ले गया था। दोनों जैसे ही जाम नदी में पहुंचे तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था। जिससे दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते है। सालों पुरानी इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं। फिर भी ये गोटमार पांढुरना में जारी है।
Gotmar Mela Pandhurna : सावरगांव के बुजुर्ग तुकाराम मेले को लेकर बताते है कि मेला कब से शुरू हुआ किसी को इस विषय में कुछ जानकारी नहीं है। पिछले कई सालों से मेला का आयोजन हो रहा है जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद सावरगांव पक्ष के लोग जाम नदी में पलाश के पेड़ को लगाकर उसमें भगवा झंडी बांधते हैं। यहां ये जानना खास होगा कि जिस पलाश के पेड़ को नदी में लगाया जाता है उसे सावरगांव पक्ष के लोग अपनी लड़की मानते हैं क्योंकि प्रेमी लड़की भी साबर गांव से थी। इसके बाद गोटमार मेला शुरू होता है तो पांढुरना पक्ष के लोगों इस पलाश के पेड़ को छीनने के लिए सावरगांव के लोगों पर पत्थरबाजी करते है। आखिर में जब ये पेड़ तोड़ लिया जाता है तो दोनों पक्ष मिलकर चंडी मां की पूजा अर्चना कर इस गोटमार को खत्म करते हैं। प्राचीन काल से मेला से ऐसा ही आयोजित हो रहा है।
Gotmar Mela Pandhurna : हर साल आयोजित होने वाले गोटमार मेले में संकड़ों से अधिक लोग घायल होते हैं लेकिन खेल खत्म होने के बाद दोनों ही गांव के लोग एक दूसरे से गले मिलते है। पांढुरना में चंडी माता मंदिर में पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं, साल भर दोनो गांव के लोगों के बीच भाईचारा बना रहता है। बता दें कि सावरगांव और पांढुरना के लोग गोटमार मेले में एक दूसरे पर जमकर पत्थर बाजी करते हैं, बहुत सारे लोग तो हर साल गोट मार खेलने आते है, जिले के बाहर के लोग भी मान्यता को लेकर गोटमार खेलने आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कम से कम पांच पत्थर फेंकने का रिवाज है ।