भोपाल : Singorgarh Fort मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित सिंगौरगढ़ किला, रानी दुर्गावती के शासनकाल की महत्वपूर्ण धरोहर है। यह किला केंद्रीय संरक्षित स्मारक है। पहाड़ी पर स्थित यह किला अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला और सामरिक महत्व के कारण सदियों से एक महत्वपूर्ण किलेबंदी के रूप में पहचाना गया है।
Singorgarh Fort सिंगौरगढ़ किला दमोह के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है, जिसे कलचुरी राजवंश द्वारा निर्मित किया गया था। इस किले का महत्व बढ़ाने में कई राजवंशों का योगदान रहा है। समय-समय पर इसमें विभिन्न निर्माण और सुदृढ़ीकरण कार्य किए गए, जिनके अवशेष आज भी इस किले में देखे जा सकते हैं।
सिंगौरगढ़ किले का नाम इतिहास में विशेष रूप से रानी दुर्गावती के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। इस किले की दीवारें और परकोटे इसे दुश्मनों से सुरक्षित रखने के लिए विशेष रूप से निर्मित किए गए थे। इसके चारों ओर लगभग 8 किलोमीटर की लंबाई में फैला बाहरी परकोटा है, जो किले की बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करता था। किले के अंदरूनी हिस्से में भी एक परकोटा है, जिसे अन्त: किलेबंदी के रूप में उपयोग किया जाता था। किले के भीतर रानी महल, विशाल जल कुंड, मंदिरों के अवशेष और अन्य स्थापत्य संरचनाएं हैं, जो इसके गौरवशाली इतिहास की गवाही देती हैं।
किले का निर्माण पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किया गया है। इसमें बड़े अनगढ़ पत्थरों का उपयोग किया गया है और दीवारों को मजबूत बनाने के लिए चूना और मिट्टी का उपयोग किया गया है। किले के ऊपर विभिन्न संरचनाएं, जैसे रानी महल और अन्य स्थापत्य धरोहरें, इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं।
सिंगौरगढ़ किला संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है। इसके संरक्षण का कार्य 4 चरणों में किया जा रहा है। प्रत्येक चरण में किले के विभिन्न भंग हिस्सों का जीर्णोद्धार कर इनका संरक्षण और पुनर्निर्माण किया जाएगा। इसमें मुख्यतः किले के बाहरी और आंतरिक दीवारों का संरक्षण, सीढ़ियों की मरम्मत, रानी महल की छत की मरम्मत और किले के अन्य संरचनाओं की मरम्मत का कार्य शामिल है। इसके लिए कुल 8.83 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं। किले के महत्वपूर्ण हिस्सों की मरम्मत और संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में परियोजना के पहले चरण में 1 करोड़ 4 लाख रूपये के कार्य किये गये।
पहले चरण में किले के मुख्य प्रवेश द्वार (हाती गेट) का संरक्षण कार्य पूरा किया गया। इस चरण में हाथी गेट के प्रवेश मार्ग की मरम्मत, रिटेनिंग दीवार का निर्माण, पुराने प्लास्टर को हटाकर नए प्लास्टर का कार्य और गुम्बद की मरम्मत भी शामिल थी। साथ ही किले के परिसर में सैंड स्टोन फ्लोरिंग और लाईम कांक्रीट कार्य भी किया गया। यह कार्य वित्त वर्ष 2023-24 में पूरा हुआ।
अगले चरण में रानी महल, किले की सीढ़ियों और कंगूरों की मरम्मत की जाएगी। बलुआ पत्थर के स्तंभों, पत्थर की बेंचों और अन्य स्थापत्य धरोहरों की भी मरम्मत की जाएगी। इस किले के संरक्षण कार्य का उद्देश्य इसे न केवल ऐतिहासिक रूप से सुरक्षित रखना है, बल्कि इसे पर्यटन के लिहाज से भी विकसित करना है, ताकि इसे मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल किया जा सके।
सिंगौरगढ़ किला एक ऐतिहासिक स्थल होने के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है। यह किला सिंग्रामपुर के आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित है, जो इसे प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा संगम बनाता है। किले के आसपास का दृश्य बहुत ही मनोहारी है और यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
संरक्षण कार्य से किले को न केवल संरक्षित किया जा रहा है, साथ ही इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। किले के संरक्षण के साथ-साथ, इसके आसपास के क्षेत्रों में भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं। इससे क्षेत्रीय पर्यटन विकास और आर्थिक उन्नति होगी।
सिंगौरगढ़ किले का संरक्षण कार्य एक ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आने वाले वर्षों में यह किला मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में जाना जायेगा।