Sanatan’s entry in Congress Janakrosh Yatra : भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव दहलीज़ पर है। बीजेपी कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए बेकरार हैं। बीजेपी जनआशीर्वाद यात्रा के जरिए वोटर्स से आशीर्वाद मांग रही है। कांग्रेस ने भी गणेश चतुर्थी के शुभ दिन जनआक्रोश यात्राओं की शुरुआत कर दी है। मध्यप्रदेश के 7 अंचलों में 7 नेताओं के नेतृत्व में यात्राएं आज से शुरु हुईं। यात्राओं के जरिए कांग्रेस ने ये संदेश देने की कोशिश की कि अब कांग्रेस भी हिंदुत्व के ट्रैक पर दौड़ेगी। जनआक्रोश यात्राओं की शुरुआत ही कांग्रेस नेताओं ने अंचल के सिद्ध मंदिरों में पूजन करके की है।
Sanatan’s entry in Congress Janakrosh Yatra : जाहिर है कांग्रेस सनातन के रास्ते पर आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ रही है। बीजेपी बेचैन है कि आखिर हमारी पिच पर कांग्रेस धुआंधार बल्लेबाजी कैसे कर पा रही है। खैर कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों में हर उस परसेप्शन को तोड़ने की कोशिश की है। जो विरोधियों ने पब्लिक के बीच कांग्रेस के लिए बनाया था। इसी कड़ी में कांग्रेस अब खुद को सनातनी बताने से भी परहेज नहीं कर रही है लेकिन कांग्रेस की इस एक्सरसाइज़ पर बीजेपी को ज़रुर ऐतराज़ है।
कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा शुरू होते ही सभी प्रभारी नेताओं ने अब मंदिर का रूख कर लिया है। कांग्रेस नेताओं ने मंदिर जाकर सबसे पहले भगवान का पूजन किया और जन आक्रोश यात्रा को शुरू किया। बता दें कि कांग्रेस सनातन परंपराओं के मुताबिक अपने सारे काज कर रही है। भले इसके पीछे कांग्रेस की मंशा सत्ता में वापसी की हो लेकिन, कांग्रेस का ये प्रयोग फिलहाल पार्टी आलाकमान को पसंद आ रहा है।
शुरुआत कमलनाथ ने सवा करोड़ हनुमान चालीसा पाठ से की और इसके बाद खुद भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने महाकालेश्वर,ओंकारेश्वर,नर्मदा पूजन सरीखे पूजन और अनुष्ठान किए। अब कांग्रेस चुनावों के दौरान फिर सनातन के रास्ते पर है। कांग्रेस ने गणेश चतुर्थी के शुभ दिन अपनी सात जनआक्रोश यात्राओं की शुरुआत की। पीसीसी में गणेश जी को विराजित किया। इसके पहले पीसीसी में ही कांग्रेस ने हनुमान चालीसा के पाठ किए। जिला मुख्यालयों में भी रामायण हुई। सावन में नर्मदा किनारे रुद्री पाठ हुए।
जाहिर है कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों में अपने सियासी पैटर्न को बदला है। पार्टी पर एक धर्म विशेष की वकालत करने के दाग को भी बखूबी धोया है। कांग्रेस लगातार हिंदुत्व के एजेंडे के जरिए माइलेज ले रही है। कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान ये भी दावा कर रही है कि कमलनाथ सरकार ने ही महांकाल लोक की नींव रखी थी। श्रीलंका में सीता मंदिर बनाने के लिए बजट जारी किया था। मठ मंदिरों के पुजारियों के मानदेय में इजाफा किया था। राम वन गमन पथ बनाने का काम शुरु किया था। 1000 स्मार्ट गौशालाएं बनायी थी। नर्मदा-क्षिप्रा की स्वच्छता के लिए बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया था। ओंकारेश्वर औऱ महाकाल के बीच कांग्रेस की सरकार ओम सर्किट बनाने जा रही थी। लेकिन कांग्रेस की सरकार गिर गई। जाहिर है कांग्रेस के ये दावे कम से कम बीजेपी को तो हजम नहीं होंगे। तो बीजेपी अब कांग्रेस के सनातनी होने के दावे को पाखंड बता रही है।
चुनावों का काउंटडाउन शुरु हो चुका है। सियासत शबाब पर है। आचार संहिता लगने में महज़ 15 दिन बाकी रह गए हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि सनातन एजेंडे के जरिए सत्ता में वापसी का रास्ता दुरुस्त कर लिया जाए। शायद इसलिए भी कांग्रेस की सातों जनआक्रोश यात्राओं के लीडर्स ने सिद्ध मंदिरों में माथा टेककर शुरुआत की है। कांग्रेस को उम्मीद है हिंदुत्व के रास्ते ही सत्ता में वापसी मुमकिन है।