Flyover Scam In Rewa: Big feat of Electricity Board and PWD

Flyover Scam In Rewa: विद्युत मंडल और पीडब्ल्यूडी विभाग का बड़ा कारनामा, फ्लाईओवर के पोल शिफ्टिंग में करोड़ों का घोटाला

विद्युत मंडल और पीडब्ल्यूडी विभाग का बड़ा कारनामा...Flyover Scam In Rewa: Big feat of Electricity Board and PWD Department, scam of crores

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Modified Date: March 25, 2025 / 03:00 PM IST
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Published Date: March 25, 2025 2:59 pm IST
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      रीवा:  Flyover Scam In Rewa: जिले में स्थित नये बस स्टैंड के पास बनाये गए फ्लाईओवर में विद्युत कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल (एमपीईबी) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओ एंड एम शाखा ने इस कार्य में करोड़ों का घोटाला किया है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। यह घोटाला सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त दस्तावेजों से उजागर हुआ है, जिसमें कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आई हैं।

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      क्या हैं पूरा मामला

      Flyover Scam In Rewa: इस मामले में सबसे बड़ा मुद्दा है कि फ्लाईओवर में विद्युतीकरण के कार्य के लिए निर्धारित निविदा में लगभग 680 मीटर के विद्युत काम को 73 लाख रुपये में पूरा किया जाना था, लेकिन अधिकारियों ने इसे बार-बार रिवाइज करते हुए इसकी लागत को बढ़ा दिया। यह काम पहले 73 लाख रुपये में करने की बात थी, लेकिन अधिकारियों ने इस्टीमेट को 231.99% बढ़ाते हुए इसे 5 करोड़ 22 लाख रुपये तक पहुंचा दिया। इतना ही नहीं, अधिकारियों ने प्राक्कलन में किए गए बदलावों में यह भी उल्लेख किया कि 680 मीटर का काम अब 6.50 किलोमीटर किया जाएगा, जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ था। सामान्य तौर पर, किसी भी प्राक्कलन में बदलाव सिर्फ एक बार और 10% तक किया जा सकता है। इसके बाद, संबंधित निविदा को पुनरीक्षित करने के लिए मुख्यालय भेजा जाता है और उसके बाद नई निविदा जारी की जाती है। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से ये सारे नियम ताक पर रखे गए और एक ही ठेकेदार, रतन सिंह, को लाभ पहुँचाने के लिए कार्यों में अनियमितताएँ की गईं। इसके अलावा, विद्युत कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान पर एनएबीएल (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्री) की रिपोर्ट लेना अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में भी यह रिपोर्ट नहीं ली गई, जो एक और बड़ा सवाल उठाता है।

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      संदिग्ध तरीके से पैसा बांटने का आरोप

      Flyover Scam In Rewa: इस पूरी प्रक्रिया को लेकर विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने सरकार और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह पूरी कार्रवाई शासन के खजाने को नुकसान पहुँचाने और ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों ने मिलकर फर्जीवाड़ा किया और नियमों की अनदेखी करते हुए बड़े पैमाने पर धन का बंदरबांट किया।

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      कानूनी और प्रशासनिक कदमों की जरूरत

      Flyover Scam In Rewa: इस घोटाले के उजागर होने के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार और प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझेंगे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे। क्या जनता और राज्य के खजाने की रक्षा के लिए इस घोटाले को उजागर करने वाले लोगों को उचित सुरक्षा प्रदान की जाएगी और दोषियों के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई की जाएगी? यह देखने वाली बात होगी।

      फ्लाईओवर में विद्युत कार्यों के लिए निविदा लागत में इतना बड़ा इन्क्रीमेंट क्यों किया गया?

      निविदा में निर्धारित विद्युत कार्य का कुल मूल्य 73 लाख रुपये था, लेकिन अधिकारियों ने इसे बढ़ाकर 5 करोड़ 22 लाख रुपये कर दिया। यह बढ़ोतरी बिना किसी उचित कारण के की गई और नियमों के उल्लंघन के रूप में सामने आई है।

      क्या नियमों के तहत प्राक्कलन में बदलाव किया जा सकता है?

      सामान्यत: प्राक्कलन में बदलाव सिर्फ एक बार और 10% तक ही किया जा सकता है। इसके बाद नई निविदा जारी करनी होती है, लेकिन इस मामले में इसे बिना किसी उचित प्रक्रिया के बढ़ा दिया गया और एक ही ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया।

      क्या एनएबीएल रिपोर्ट जरूरी थी?

      हां, विद्युत कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान पर एनएबीएल (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्री) की रिपोर्ट अनिवार्य होती है। लेकिन इस मामले में यह रिपोर्ट नहीं ली गई, जिससे अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं।

      इस घोटाले के उजागर होने के बाद क्या कार्रवाई की जाएगी?

      घोटाले के उजागर होने के बाद विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। अब यह सवाल है कि राज्य सरकार और प्रशासन दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कानूनी कदम उठाएंगे।

      क्या इस मामले में सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है?

      हां, अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ और सरकारी खजाने को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। यह पूरी प्रक्रिया शासन के खजाने को नुकसान पहुँचाने और ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।