रीवा। आपको अगर किसी भी तरह की तकलीफ या फिर कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तो आप सीधा डॉक्टर का दरवाजा ही खटखटाते है। इसके बाद आप डॉक्टर से अपनी तकलीफ बयां करते हैं, जिसके बाद डॉक्टर आपका इलाज कर आप को ठीक तरह से स्वस्थ करने का हर संभव प्रयास करता है। मगर जब आप को कोई ऐसी गंभीर और अंजान बीमारी घेर ले जिसके बारे में आप को तो क्या किसी डॉक्टर को भी पता न तब आप सिर्फ भगवान के ही भरोसे रह जाते है। ऐसी ही एक गंभीर बीमारी का मामला सामने आया है रीवा जिले के त्योंथर तहसील स्थित अंजोरा गांव से। यहां पर रहने वाले एक ही परिवार के 5 सदस्य बीते कई वर्ष पूर्व एक गंभीर बीमारी का शिकार हो गए और उनका शरीर सूखकर हड्डियों का ढांचा बनकर रह गया।
इस गंभीर बीमारी का इलाज समूचे भारत में किसी भी डॉक्टर के पास नही था। इस अंजान और गंभीर बीमारी से पीड़ित परिवार अपने स्वास्थ होने की पूरी उम्मीदें ही खो चुका था। परिवार के पांचों सदस्यों का शरीर धीरे-धीरे कर सूखता चला गया और वह मात्र हड्डी का ढांचा बनकर रह गए। शरीर के सूखने के साथ ही उनका वजन भी घटता चला गया और धीरे धीरे कर के वह हड्डी के ढांचे में तब्दील होते चले गए। हालाकि पीड़ित परिवार की दिनचर्या आम इंसानों की तरह ही थी।
वह आम इंसान की तरह ही भोजन करते उनके तरह ही विश्राम करते और आम इंसानों की तरह लोगों से बात करते और उनके तरह ही मुस्कुराते थे, लेकिन चलने फिरने में उन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। परिवार के पांचों सदस्य को इस अंजान बिमारी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। देश के कई स्थानों में इलाज चला, फिर भी बीमारी का पता नहीं चला। इस गंभीर बीमारी का इलाज कराते कराते परिवार की मालिय स्थिति खराब होती चली गई और परिवार पाई पाई का मोहताज हो गया।
बीते कुछ वर्ष पूर्व यादव परिवार के सभी 5 सदस्यों ने अपनी गंभीर और अंजान बीमारी इलाज दिल्ली के एम्स अस्पताल में कराया था। काफी दिनो तक डॉक्टरों की टीम ने इस गंभीर बीमारी पता लगाने के लिए रिसर्च किया। एम्स अस्पताल में डॉक्टरो की रिसर्च टीम ने पता लगाया की पीड़ित परिवार को “मस्क्युलर डिस्ट्रोफी” नाम की एक बीमारी ने जकड़ रखा है। बीमारी का पता तो लग गया लेकिन इसका इलाज भारत में संभव नहीं था। बताया गया की “मस्क्युलर डिस्ट्रोफी” नाम की इस बीमारी का इलाज जर्मनी में होता है, लेकिन मालीय स्थिति ठीक न होने के चलते पीड़ित परिवार अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए जर्मनी जा पाने की स्थित में नही था। इसके बाद पीड़ित परिवार अपने स्वास्थ होने की सारी उम्मीदें छोड़कर सरकार से मदद की दरकार करने लगा।
पीड़ितों का इलाज कराने स्थानिय विधायक श्यामलाल द्विवेदी ने सरकार को एक पत्र लिखा था। मीडिया में पीड़ित परिवार की खबरे भी प्रकाशित हुई, जिसके बाद स्वयं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संज्ञान में लिया और एसडीम पीके पांडे की मौजूदगी में पीड़ित परिवार से फोन पर बात की, जिसके बाद सीएम शिवराज ने परिवार के सदस्यों का इलाज कराने के साथ ही उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित परिवार की बीमारी से संबंधित सभी जांच व उपचार सहित अन्य दस्तावेजों की फाइल तैयार कर भोपाल भेजे जाने के लिए एसडीएम को निर्देश दिए हैं।
पीड़ित परिवार को मिलगी सर्वश्रेष्ठ चिक्तिसा सुविधा “सीएम शिवराज” पीड़ित परिवार से बात करने के पश्चात सीएम शिवराज ने एक ट्वीट किया। पीड़ित परिवार से बात करने का वीडियो ट्वीट करते हुए सीएम शिवराज ने लिखा की “बेटा मनीष आपको और आप के परिवार को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मैं और पूरी मध्यप्रदेश की सरकार आप के साथ खड़ी है। आपको और आपके परिवार के सभी सदस्य को सर्वश्रेष्ठ चिक्तिसा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। आप सभी स्वास्थ जीवन का आनंद ले यही मेरी शुभकामनाए है। -IBC24 से राजीव पांडे की रिपोर्ट