शहीद सआदत खान के नाम से जानी जाए स्वतंत्रता संग्राम की गवाह रेसीडेंसी कोठी : वंशज

शहीद सआदत खान के नाम से जानी जाए स्वतंत्रता संग्राम की गवाह रेसीडेंसी कोठी : वंशज

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  • Publish Date - October 28, 2024 / 03:26 PM IST,
    Updated On - October 28, 2024 / 03:26 PM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), 28 अक्टूबर (भाषा) मध्य भारत की रियासतों पर नियंत्रण के लिए इंदौर में करीब 200 साल पहले अंग्रेजों की बनाई रेसीडेंसी कोठी के नामकरण को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ आ गया है।

वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद सआदत खान के वंशजों ने मांग की है कि इस ऐतिहासिक इमारत का नाम उनके नाम पर रखा जाए।

खान ने ब्रितानी राज के खिलाफ स्थानीय क्रांतिकारियों के सशस्त्र संघर्ष की अगुवाई करते हुए रेसीडेंसी कोठी पर हमला किया था। अंग्रेज शासकों ने खान को रेसीडेंसी कोठी परिसर में ही फांसी की सजा दी थी जहां उनका स्मारक बना हुआ है।

अधिकारियों ने बताया कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अगुवाई वाली महापौर परिषद (एमआईसी) ने 18 अक्टूबर को रेसीडेंसी कोठी का नाम बदलकर शिवाजी कोठी करने का फैसला किया था। इसके बाद शहर की सामाजिक संस्था ‘‘पुण्यश्लोक’’ ने रेसीडेंसी कोठी का नाम इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई के नाम पर रखने की मांग की थी। संस्था के सदस्यों ने इस इमारत के मुख्य द्वार के बाहर 21 अक्टूबर को ‘‘देवी अहिल्या बाई कोठी’’ का बैनर भी टांग दिया था।

शहीद सआदत खान के वंशज रिजवान खान ने सोमवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘हम छत्रपति शिवाजी और देवी अहिल्याबाई का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन जब भी रेसीडेंसी कोठी का जिक्र किया जाता है, तो सआदत खान की शहादत का जिक्र भी होता है। इसलिए हम चाहते हैं कि इस इमारत का नाम सआदत खान के नाम पर रखा जाए।’’

उन्होंने बताया कि उनका परिवार और अन्य क्रांतिकारियों के वंशज भी बरसों से मांग कर रहे हैं कि रेसीडेंसी कोठी का नाम सआदत खान के नाम पर रखा जाए।

उत्तर प्रदेश के बांदा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य शाहीन अवैस बहादुर ने बताया कि अंग्रेजों द्वारा सआदत खान को फांसी दिए जाने के बाद उनके एक पूर्वज ने उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किए जाने में मदद की थी।

शाहीन, ‘‘हिन्दवी स्वराज्य महासंघ’’ नाम के संगठन की महिला समिति की अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि इंदौर का कम से कम एक सार्वजनिक स्थान तो सआदत खान के नाम से जाना जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद रख सकें।’’

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, ‘‘रेसीडेंसी कोठी के जरिये अंग्रेजों ने अपना शासन चलाया था। गुलामी के निशान मिटाने के लिए हमने इस इमारत का नाम शिवाजी कोठी किया है ताकि इसके जरिये लोगों को साहस और पराक्रम की प्रेरणा मिल सके।’’

रेसीडेंसी कोठी का नाम सआदत खान के नाम पर किए जाने की मांग को लेकर भार्गव ने कहा, ‘‘रेसीडेंसी कोठी परिसर में खान का स्मारक पहले से बना है। उनके नाम पर शहर के किसी स्थान का नाम रखने की जरूरत होगी, तो हम ऐसा जरूर करेंगे। हम स्वतंत्रता संग्राम के हर शहीद का संदेश आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प हैं।’’

इतिहासकार जफर अंसारी ने बताया कि रेसीडेंसी कोठी का निर्माण ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 1820 में शुरू किया था और इसमें रहने वाले अंग्रेज अफसर समूचे मध्य भारत की रियासतों को नियंत्रित करते थे।

उन्होंने बताया, ‘‘क्रांतिकारी सआदत खां और उनके सशस्त्र साथियों ने एक जुलाई 1857 को रेसीडेंसी कोठी पर भीषण हमला करके इसके प्रवेश द्वार को ध्वस्त कर दिया था और इस इमारत पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। क्रांतिकारियों ने रेसीडेंसी कोठी पर लगे ईस्ट इंडिया कम्पनी के झंडे को उतारकर इस पर तत्कालीन होलकर रियासत का ध्वज फहरा दिया था।’’

अंसारी ने बताया कि खान को 1874 में तत्कालीन राजपूताना (मौजूदा राजस्थान) से गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि अंग्रेज शासकों ने खान पर मुकदमा चलाकर उन्हें रेसीडेंसी कोठी परिसर के पेड़ पर एक अक्टूबर 1874 को फांसी के फंदे से लटका कर मृत्युदंड दिया था।

भाषा हर्ष मनीषा

मनीषा