Rebels increased the tension (रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) भोपालः कार्यकर्ता अगर निष्ठावान हो तो किसी भी दल का समीकरण बना सकता है अगर वही बागी हो जाएं तो समीकरण का गणित बिगड़ने में देर नहीं लगती। उदाहरण के लिए आप महाराष्ट्र की राजनीति में रोजाना हो रहे उतार-चढ़ाव से इस बात को समझ सकते हैं।इधऱ निकाय चुनाव में बागियों की बगावत का सामना अपने मध्य प्रदेश में भी दोनों बड़े दलों को करना पड़ रहा है। नाम वापसी की मियाद तो आज तीन बजे ही खत्म हो गई। अब मैदान में कितने प्रत्याशी डटे हैं, कितनों ने नाम वापस लिए, इसकी फाइनल तस्वीर सामने नहीं आई है, लेकिन दोनों दल ऑल इज़ वेल की बात कह रहे हैं। अब सवाल है कि डैमेज कंट्रोल की परीक्षा में कौन पास हुआ और कौन फेल। क्योंकि अब बागी तय करेंगे कि किसके हाथ में बाजी?>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
Rebels increased the tension सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन कर निकाय चुनाव के लिए प्रचार का आगाज किया। सीएम की जन आशीर्वाद यात्रा में भारी जनसैलाब उमड़ा। एक ओर सीएम ने रोड शो के जरिए बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार का शंखनाद किया तो दूसरी ओर नाम वापसी के अंतिम दिन बीजेपी के दिग्गज नेता टिकट वितरण से नाराज होकर नामांकन भरने वालों को मनाते नजर आए। बीजेपी में ढाई हजार से ज्यादा नाराज दावेदारों ने नामांकन दाखिल किया था। इन नेताओँ को पार्टी ने 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने की चेतावनी देकर अनुशासन का डंडा दिखाया। जिसके बाद कई नाम तो वापस हुए है लेकिन कई चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। जिनसे अब बातचीत की जा रही है।
बागियों से बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी जूझ रही है। भोपाल, जबलपुर, इंदौर-ग्वालियर समेत सभी जगह बागी दावेदारों ने नामांकन फॉर्म भरा था। हालांकि मान मनोव्वल के बाद कई जगह नाराज दावेदारों ने नाम वापस ले लिया। लेकिन कई जगह मामला अटक गया। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि कोई भी बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा।
कुल मिलाकर बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने आखिरी मौके तक बागी नेताओं को मनाने के लिए काफी जोर लगाया. लेकिन इन बागियों को मनाने में कौन सफल रहा। ये कहना अभी जल्दबाजी होगा। बहरहाल चुनाव मैदान में डटे बागी नेता चुनावी समीकरण बिगाड़ने का माद्दा रखते है। ऐसे में चुनाव से पहले भड़की बगावत की आग को कांग्रेस और बीजेपी कब और कैसे बुझा पाती है बड़ा सवाल है।