Ratlam Lok Sabha Chunav 2024 : रतलाम। मध्य प्रदेश की रतलाम लोकसभा सीट देश की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। इस सीट से देश के कई दिग्गज नेता सांसद रह चुके हैं। रतलाम लोकसभा सीट मध्य प्रदेश राज्य के मालवा क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी भाग में एक शहर है। यह एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। कांग्रेस ने इस सीट पर कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है जो इस सीट पर न केवल सांसद रहे बल्कि कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। वहीं बीजेपी ने इस बार गुमान सिंह डामोर का टिकट काटकर मध्यप्रदेश के वनमंत्री नागर सिंह चौहान कि पत्नी अनिता चौहान को टिकट दिया है।
इस सीट पर आदिवासीयो संख्या अच्छी खासी है। 73.54 फीसदी आबादी रतलाम की अनुसूचित जतजाति की है, जबकि 4.51 फीसदी की आबादी अनुसूचित जाति की है। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में रतलाम में 17,02,648 मतदाता थे। इनमें से 8,41, 701 महिला मतदाता और 8,60,947 पुरुष थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर 63.59 फीसदी मतदान हुआ था। यह लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया के दबदबे वाली सीट रही है।
भाजपा अनिता नागरसिंह चौहान ,
इंडियन नेशनल कांग्रेस से कांतिलाल भूरिया , बहुजन समाज पार्टी से रामचंद्र सोलंकी , रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) से उदेसिंह मचार को , भारत आदिवासी पार्टी से इंजीनियर बालूसिंह गामड़ को , भारतीय सामाजिक पार्टी से मोहनसिंह निंगवाल को , अखंड भारत साम्राज्य पार्टी से शीतल बारेला को , निर्दलीय कसना राणा पारगी , निर्दलीय रामेश्वर सिंगार को , निर्दलीय रंगला कलेश को , निर्दलीय सुमित्रा मेड़ा और निर्दलीय सुरज भाभर
मतदान केंद्र- कुल 1297 मतदान केंद्र (रतलाम झाबुआ और अलीराजपुर जिले की आठ विधानसभाओ में)
संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद 2008 में इस निर्वाचन क्षेत्र का नाम बदलकर रतलाम कर दिया गया । यह निर्वाचन क्षेत्र पूरे अलीराजपुर और झाबुआ जिलों और रतलाम जिले के कुछ हिस्से को कवर करता है ।
अलीराजपुर जिले की-
-अलीराजपुर विधानसभा
-जोबट विधानसभा
झाबुआ जिले की-
-झाबुआ विधानसभा
-थांदला विधानसभा
-पेटलावद विधानसभा
रतलाम जिले की-
रतलाम ग्रामीण विधानसभा
रतलाम शहर विधानसभा
सैलाना विघानसभा
मतदाता – 20,72,288 पुरुष मतदाता – 1029,902 महिला मतदाता – 10,42,330 थर्ड जेंडर – 56
समीकरण – मध्यप्रदेश की रतलाम-झाबुआ सीट दो अलग-अलग इलाकों का प्रतिनिधित्व करती है। इसके खानपान और वोटिंग में भी अंतर है। रतलाम की सेव प्रसिद्ध है तो झाबुआ के दाल पानिये। रतलाम में चमकदार चांदी है तो झाबुआ में कड़कनाथ। जैसे ये दो अलग आबोहवा वाले इलाके हैं, वैसे ही इनमे वोट भी पड़ता है। एक बात फिर भी साफ़ है इस आदिवासी सीट पर कांग्रेस की चमक अभी भी बरक़रार है। कांतिलाल भूरिया जो पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहे हैं। लोगों का झुकाव मोदी की गारंटी पर है, लेकिन वे स्थानीय स्तर पर बीजेपी प्रत्याशी की तुलना में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को ज्यादा करीब मानते हैं। इसका कारण ये हैं कि भाजपा की अनिता चौहान के मुकाबले भूरिया तक आम लोगों की सीधे पहुंच है। वे पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के जीएस डामोर से हार के बाद लगातार इलाके में सक्रिय है।
भाजपा ने प्रदेश के वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी को टिकट दिया है। ऐसे में परिवारवादी राजनीति को बीजेपी के पुराने दावेदार पचा नहीं पा रहे हैं। इस भूरिया गढ़ कह सकते इस सीट पर कुल 18 चुनाव हुए इसमें से 14 बार कांग्रेस जीती। कांग्रेस से भी11 बार भूरिया जीते। छह बार दिलीप सिंह भूरिया। पांच बार कांतिलाल भूरिया। बीजेपी ने 2014 में मोदी लहर में पहली बार ये सीट जीती। वो भी कांग्रेस से बीजेपी में आये दिलीप सिंह भूरिया की जगह। दिलीप सिंह भूरिया कांग्रेस छोड़कर आये और बीजेपी से इस चुनाव को जीते। कुछ दिन बाद ही उनका निधन हो गया। उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीते। उन्होंने दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को हराया। निर्मला भूरिया अभी मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री हैं। विधानसभा में कांग्रेस-बीजेपी रहे बराबर छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भी इस लोकसभा सीट की आठ सीटों में से चार पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस और एक पर भारतीय ट्रायबल पार्टी जीती है। यानी मुकाबला बहुत कड़ा दिखाई दे रहा है।
इस इलाके की एक विधानसभा में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत विधायक हैं, तो एक पर बीजेपी प्रत्याशी अनिता चौहान के पति नागर सिंह चौहान विधायक है। कुल मिलाकर दोनों तरफ दमदारी बराबर है। पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा लाभ कांतिलाल भूरिया के अनुभव और उनकी मजबूत पकड का मिल रहा है। वे अभी आगे दिखाई दे रहे हैं। पिछले प्रत्याशी का विरोध भी सरकारी नौकरी छोड़कर पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लड़कर जीते जीएसडामोर इस चुनाव में कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। डामोर की निष्क्रियता और लोगों की समस्याओं के लिए उनसे न मिलने की बड़ी शिकायत रही है। ऐसे में जनता का एक बड़ा वर्ग ये मानने लगा है कि बाहरी प्रत्याशी को खोजना मुश्किल होता है. कांतिलाल भूरिया उनके लिए सहज उपलब्ध रहते हैं। डामोर की जो नेगटिव छवि रही है वो भी अनिता चौहान के लिए मुश्किल कर रही है। टिकट कटने के बाद डामोर गुट भी बीजेपी के लिए बहुत सक्रिय नहीं है।
महिला उम्मीदवार नहीं जीती इलाके में अब तक महिला प्रत्याशी नहीं जीत सकी है। बीजेपी ने इससे पहले रेलम चौहान और निर्मला भूरिया को भी मैदान में उतारा पर दोनों चुनाव हार गई। इस आदिवासी इलाके में अभी भी महिला उम्मीदवार के लिए बहुत जगह बनती नहीं दिख रही है।
मुद्दे रतलाम लोकसभा क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर न होने के कारण आदिवासियों का पलायन यहां की सबसे बड़ी समस्या रही है वही वहीं यदि बात की जाए स्वास्थ्य एवं शिक्षा की तो वह भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है जिसके लिए लोकसभा क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में आज भी पर्याप्त न होना , पेयजल भी यहां का एक सबसे बड़ा मुद्दा है।