Jalte hue angaron ki anokhi holi

Anokhi Holi : होली पर सालों से चली आ रही ऐसी परंपरा, जलते हुए अंगारों पर चलते है ग्रामीण, जानें आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य

Anokhi Holi: Such a tradition has been going on for years on Holi, villagers walk on burning embers, know what is the secret behind it.

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Reported By: Santosh Malviya

Modified Date: March 25, 2024 / 12:01 PM IST
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Published Date: March 25, 2024 12:01 pm IST

Jalte hue angaron ki anokhi holi : रायसेन। रायसेन जिले के सिलवानी में आस्था कहे या अंधविश्वास इसके चलते होली के दहकते अंगारो से निकलते ग्रामीण,सालो पुरानी है ये अनोखी परम्परा। यह अनोखी परम्परा आज भी चली आ रही है। सामान्तया हमारे हाथ जलते हुए अंगारे या आग की चपेट में आ जाये तो जलन होती है लेकिन होलिका दहन पर यहां लोग धधकते अंगारों से निकल रहे है। ऐसे में इसे क्या कहेंगे अंधविश्वास या आस्था स्थानीय लोग इसे आस्था से जोड़कर देखते है उनका कहना है कि अंगारे से निकलने पर रोग दोष दूर हो जाते है।

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दो गाँवों में अनोखे तरीके से होली

रायसेन जिले के सिलवानी के दो गाँवों में अनोखे तरीके से होली मनाई जाती है यह परम्परा ग्राम चंद्रपुरा में 15 साल से चली आ रही है वही ग्राम मेंहगवा में पांच सौ साल से चली आ रही परंपरा आज के आधुनिक युग में भी जारी है होली का त्योहार और परंपराओं का समागम है। देश के अलग-अलग हिस्सों में होली हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। कहीं फूलों से तो कही रंगो से होली खेली जाती है, तो कहीं पर लोग एक दूसरे पर डंडा बरसाते होली खेलते हैं। लेकिन आपने कभी आग के जलते अंगारों पर चलकर होली खेलने के बारे में सुना है।

अंगारों की चलने की परंपरा

इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन सिलवानी तहसील के दो गांवों में होली के दिन अंगारों की चलने की अनौखी परंपरा है।अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास कहें या विश्वास,लोगो का मानना ​​है कि ग्रामीण प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियों से दूर रहते है। आस्था व श्रद्धा के कारण ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर चलते है ग्रामीणो की आस्था का आलम यह है कि नाबालिग बच्चों से लेकर महिलाएं,बुजुर्ग तक अंगारों पर नंगे पैर चलते है लेकिन जलते हुए होलिका दहन के अंगारों पर चलने के बाद भी बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक के पैर आग पर चलने के बाद भी नहीं जलते और ना ही किसी गांव के व्यक्ति को कोई परेशानी होती है।सभी ग्रामीण बारी-बारी से आग पर चलते है।

 

रविवार की रात होलिका दहन के बाद जलते हुए अंगारों में सिलवानी तहसील से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत हथौड़ा के ग्राम मेहगवा और 4 किमी दूर बसे ग्राम पंचायत डुंगरिया कला के ग्राम चंदपुरा का है। चंदपुरा में ग्रामीण पिछले 15 वर्षों से आग पर से चलते आ रहे हैं और ग्राम महगवा में ग्रामीण करीब पांच सौ साल से आग पर चलते आ रहे हैं। ग्राम महगवा में लगभग सौ से अधिक मकान है और वर्तमान आबादी लगभग एक हजार है। यहां प्रत्येक वर्ष होलिका दहन के बाद रात में ही सभी ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से ग्राम के बच्चों से लेकर बड़े बुर्जुग तक व्यक्ति बेधड़क होकर होलिका दहन के बाद होलिका दहन के धधकते हुए अंगारों पर नंगे पैर निकलते है।

 

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