2047 तक भारत को सबसे विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महिलाओं को आगे बढ़ाएं : राष्ट्रपति

2047 तक भारत को सबसे विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महिलाओं को आगे बढ़ाएं : राष्ट्रपति

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  • Publish Date - September 19, 2024 / 07:30 PM IST,
    Updated On - September 19, 2024 / 07:30 PM IST

(तस्वीरों के साथ)

इंदौर (मप्र),19 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2047 तक भारत को दुनिया का सबसे विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने और आत्मनिर्भर बनने के वास्ते प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने आह्वान किया कि इस सिलसिले में आधी आबादी को हर तबके की मदद मिलनी चाहिए।

उन्होंने यहां देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के हीरक जयंती वर्ष के दीक्षांत समारोह में कहा,‘‘मैं सभी शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों से कहना चाहूंगी कि वे बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि हम भारत को 2047 तक सबसे विकसित और सबसे आगे चलने वाला देश बनाना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा,‘‘…इसलिए आधी आबादी के रूप में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए हम सबको महिलाओं को सहयोग और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।

अगर आपके सहयोग और मार्गदर्शन से हमारी बेटियां बड़े सपने देखकर उन्हें साकार करेंगी, तभी आप सही मायने में देश के विकास में भागीदार बन पाएंगे।’’

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने दीक्षांत समारोह में जिन मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण और रजत पदकों से नवाजा, उनमें छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है।

उन्होंने अपने दीक्षांत भाषण में सामूहिक विकास की अवधारणा पर खास जोर दिया।

राष्ट्रपति ने कहा,‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास का नारा दिया है। देश को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक विकास जरूरी है। इसलिए (विकास की दौड़ में) पिछड़े लोगों को आगे लाने के लिए सरकार ही नहीं, सबका सहयोग जरूरी है।’’

उन्होंने कहा,‘‘इस बात को सदैव याद रखें कि सबके विकास में ही आपका अपना विकास निहित है। केवल अपनी आजीविका और अपने परिवार का विकास आपका लक्ष्य नहीं होना चाहिए।’’

राष्ट्रपति ने इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई को उनकी 300 वीं जयंती के वर्ष में उनके कुशल प्रशासन, न्यायपरायणता, महिला सशक्तीकरण, लोक कल्याणकारी कार्यों और जनजातीय विकास के क्षेत्रों में उनके ऐतिहासिक योगदान के लिए याद किया।

राष्ट्रपति ने कहा,‘‘देवी अहिल्याबाई का जीवन इस बात का उदाहरण है कि महिलाएं राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक समेत सभी क्षेत्रों में सक्रिय होकर क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती हैं।’’

उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई 18वीं सदी में भी शिक्षा के महत्व को समझती थीं और उनके पिता ने उन्हें उस दौर में शिक्षित किया, जब लड़कियों का पढ़ना आम बात नहीं थी और समाज के लोग इसका विरोध भी करते थे।

राष्ट्रपति ने उपाधि हासिल करने वाले विद्यार्थियों को उनके भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षा ग्रहण करने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से अपेक्षा जताई कि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए ज्ञान और नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करते हुए समावेशी तथा सतत विकास को बढ़ावा देंगे।

दीक्षांत समारोह को मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी संबोधित किया। इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद थीं।

दीक्षांत समारोह में एक शोधार्थी को ‘‘डॉक्टर ऑफ साइंस’’(डीएससी) और 139 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की गई।

भाषा हर्ष

राजकुमार

राजकुमार