(रिपोर्टः नवीन कुमार सिंह) भोपालः मंगलवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट पेश की गई। जिसके मुताबिक कोरोना संकट के बावजूद प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में 18 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। हालांकि विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया विधानसभा में कांग्रेस विधायकों के सवालों का जवाब नहीं दिया जा रहा है। जनहित से जुड़े सवालों पर जानकारी एकत्रित की जा रही है, सिंगल लाइनर जवाब आता है। हालांकि सत्तापक्ष का दावा है कि कांग्रेस केवल बहानेबाजी कर रही।
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मध्यप्रदेश के कांग्रेस विधायकों को सरकार का सिंगल लाइनर जवाब परेशान कर रहा है। कांग्रेस विधायकों का दावा है कि बीजेपी सरकार के हर विधानसभा सत्र में मंत्री महत्वपूर्ण सवालों का जवाब जानकारी एकत्रित की जा रही है के तौर पर दे रहे हैं। विपक्ष का सीधा आरोप है कि सरकार खुद को बचाने के लिए लोकतंत्र के मंदिर में फरेब कर रही । चाहे सीएम सचिवालय से जुड़े सवाल हों, कृषि विभाग से जुड़े सवाल हों या फिर ऊर्जा विभाग के सवाल हों। ये वो विभाग हैं जिनमें सबसे ज्यादा गड़बड़ियां हुईं हैं। शायद इसलिए ही बीजेपी सरकार के मंत्री एक्सपोज़ होने के डर से जवाब नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस के सीनियर विधायक सज्जन सिंह वर्मा कहते हैं कि ये सिर्फ एक सत्र का मामला नहीं है बल्कि एक ही सवाल को हर सत्र में पूछा गया है और उसका जवाब सालों से जानकारी एकत्रित की जा रही है दिया जा रहा है।
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कांग्रेस ने बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष की घेराबंदी करने के लिए तगड़ी तैयारी की है। लेकिन विधानसभा में सरकार के रवैये से नाराज़ कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ गिरीश गौतम से इंसाफ की गुहार लगाई है। सज्जन सिंह वर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर बताया कि 10वें सत्र तक तकरीबन 500 ऐसे प्रश्न हैं जिनके जवाब सरकार ने सिंगल लाइन में दिए हैं। खासकर बेहद महत्तवपूर्ण विषयों पर सरकार का रुख असंवेदनशील होता है। कांग्रेस के आरोपों पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सदन में चर्चा से भागने के लिए कांग्रेस ऐसे ही बहानेबाजी करती । जबकि प्रश्नकाल के अलावा भी कांग्रेस के पास अपने प्रश्नों को उठाने के लिए ध्यानाकर्षण,शून्यकाल,139 के तहत चर्चा,स्थगन प्रस्ताव जैसे महत्वपूर्ण विकल्प होते हैं
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दरअसल इस बजट सत्र के पहले संसदीय कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव आई सीपी केसरी की अध्यक्षता में पिछले दिनों विधानसभा प्रश्नों के उत्तर समय ना मिलने और इससे संबंधित लंबित मामलों को लेकर बैठक की गई थी, जिसमें संबंधित विभागों को सूचित किया गया गया था। ऐसा नहीं है कि इस संबंध में पहली दफा बैठक हुई हो। इससे पहले भी समीक्षा बैठकें की गई हैं और विभागों और विभागाध्यक्षों को उत्तर देने के लिए बाध्य किया गया है। बावजूद इसके इस सत्र में भी एक लाइन के जवाब आ रहे हैं। जिसे लेकर कांग्रेस विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। अब सवाल ये है कि वाकई सरकार सदन में सवालों का जवाब देने से बच रही है?