इंदौर, 17 जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को दावा किया कि पीथमपुर की एक अपशिष्ट निपटान इकाई में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे को जलाने से जान-माल या आबो-हवा को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी जहरीली गैस नहीं निकलेगी।
भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
राज्य के पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,‘‘मैं अपनी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सबको आश्वस्त करना चाहता हूं कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को जलाने से ऐसी कोई भी जहरीली गैस नहीं निकलेगी जिससे किसी व्यक्ति को जान-माल की हानि हो या वातावरण में प्रदूषण फैले।’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि इस कचरे का हानिकारक असर खत्म हो चुका है। कोठारी ने कहा कि चूंकि यूनियन कार्बाइड से एक ऐतिहासिक त्रासदी जुड़ी हुई है, इसलिए इस बंद पड़े कारखाने के कचरे को लेकर लोगों के मन में आशंकाएं हैं।
उन्होंने कहा,’ऐसी तमाम आशंकाओं को दूर किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें समझाया जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि लोग हमारी बात समझेंगे।’’
स्थानीय नागरिकों ने दावा किया है कि 2015 के दौरान पीथमपुर में परीक्षण के तौर पर यूनियन कार्बाइड के 10 टन कचरे को नष्ट किया गया था जिसके बाद आस-पास के गांवों की मिट्टी, भूमिगत जल और जल स्रोत प्रदूषित हो गए। प्रदेश सरकार ने इस दावे को खारिज किया है।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने का कचरा दो जनवरी को पीथमपुर में एक निजी कंपनी की संचालित अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था। इसके बाद पीथमपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इंदौर के पास स्थित इस औद्योगिक क्षेत्र में हालात फिलहाल शांतिपूर्ण हैं।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने छह जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए।
इस बीच, धार जिले के प्रशासन ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान की योजना को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए पीथमपुर की औद्योगिक इकाइयों में ‘‘जन संवाद’’ कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू किया है।
अधिकारियों ने बताया कि इन कार्यक्रमों के लिए बाकायदा ‘मास्टर ट्रेनर’ तैयार किए गए हैं जो औद्योगिक इकाइयों में पहुंचकर मजदूरों और अन्य कर्मचारियों से सीधी बातचीत करके ‘‘भ्रांतियों’’ को दूर कर रहे हैं।
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1,250 इकाइयां हैं जहां हजारों मजदूर काम करते हैं। इनमें देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिक शामिल हैं।
भाषा हर्ष संतोष
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