Kuno national park cheetah :कूनो नेशनल पार्क में अब तक 10 नामीबियाई चीतों की मौत, जानें अब कितने बचे?

kuno national park cheetah :मप्र के कूनो पार्क में नामीबियाई चीते शौर्य की मौत, अब तक 10 चीतों की मौत

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  • Publish Date - January 16, 2024 / 11:44 PM IST,
    Updated On - January 17, 2024 / 01:01 PM IST

kuno national park cheetah : भोपाल, 16 जनवरी ।मध्य प्रदेश के वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में नामीबियाई चीते शौर्य की मौत हो गई। 2022 में अफ्रीका से चीतों को भारत लाए जाने के बाद से यह 10वें पशु की मौत है। वन विभाग ने एक बयान में कहा कि चीते की मौत का कारण तत्काल स्पष्ट नहीं है और यह पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा। ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा संपर्क किए जाने पर, वन मंत्री चौहान ने कहा कि उन्हें श्योपुर जिले के केएनपी में नामीबियाई चीते शौर्य की मौत के बारे में सूचना मिली है।

वन विभाग के बयान में कहा गया है कि पूर्वाह्न करीब 11 बजे ‘ट्रैकिंग टीम’ ने नर चीते को ठीक से नहीं चलते हुए पाया, जिसके बाद उसे बेहोश किया गया और फिर होश में लाने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसमें कहा गया है कि जंगली जानवर पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी पुनर्जीवन) का भी असर नहीं हुआ और तीन बजकर 17 मिनट पर उसकी मृत्यु हो गई।

मार्च 2023 से, केएनपी में विभिन्न कारणों से शौर्य सहित सात वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत हो गई है, जिससे मरने वाले चीतों की संख्या दस हो गई है। अब तक तीन वयस्क मादा और चार वयस्क नर चीतों की मौत हुई है जिनमें साशा (27 मार्च, 2023), उदय (23 अप्रैल, 2023), दक्ष (9 मई, 2023), तेजस (11 जुलाई, 2023), सूरज ( 14 जुलाई, 2023), धात्री (2 अगस्त, 2023) और शौर्य (16 जनवरी, 2023) शामिल हैं।

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जीवित चीतों की कुल संख्या

इसके अलावा नामीबियाई से लाए गए चीते ‘ज्वाला’ से जन्मे चार शावकों में से एक की 23 मई 2023 को और दो अन्य की 25 मई 2023 को मृत्यु हो गई थी। केएनपी में जीवित चीतों की कुल संख्या अब 17 (छह नर, सात मादा और चार शावक) है। तीन जनवरी को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर नामीबियाई चीते आशा के तीन शावकों के जन्म की खबर साझा की थी।

मार्च 2023 में, सियाया, जिसका नाम बाद में ज्वाला रखा गया, ने चार शावकों को जन्म दिया था, लेकिन उनमें से केवल एक मादा शावक जीवित बची है। चीते को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। भारत में उनकी आबादी को पुनर्जीवित करने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत चीतों को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से केएनपी में स्थानांतरित किया गया था।

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नामीबिया से आठ चीतों – पांच मादा और तीन नर – को 17 सितंबर 2022 को छोड़ा गया

इसके तहत, नामीबिया से आठ चीतों – पांच मादा और तीन नर – को 17 सितंबर 2022 को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था। फरवरी 2023 में, अन्य 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से पार्क में लाया गया था।

पिछले साल मई में, चीतों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा था जिसमें कारणों और उठाए गए उपचारात्मक उपायों का जिक्र हो।

जवाब में, पर्यावरण और वन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने शीर्ष अदालत को बताया था कि केएनपी में वयस्क चीतों और शावकों की मौत परेशान करने वाली है, लेकिन ‘अनावश्यक रूप से चिंताजनक’ नहीं है और एहतियात के तौर पर बचे हुए चीतों को पकड़कर उनकी चिकित्सकीय जांच की जा रही है।

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