भोपाल: एमपी में सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने के दावे कर रही है। बावजूद उसके प्रदेश में 30 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं और रोजगार की मांग कर रहे हैं। प्रदेश के सरकारी विभागों में 1 लाख से ज्यादा पद खाली है, लेकिन पिछले दो साल से प्रदेश में भर्ती नहीं हुई है। जैसे तैसे कुछ भर्ती परीक्षाएं हुईं, जो किसी धांधली और अन्य गड़बड़ियों के चलते निरस्त हो गईं। आए दिन बेरोजगार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन बिगड़े सिस्टम और अफसरों की लापरवाही के चलते व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है।
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मध्यप्रदेश में हर महीने एक लाख लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली प्रदेश सरकार के खुद के विभागों में सालों से खाली पदों पर भर्ती नहीं कर रही है। सरकारी नौकरी की चाह में सालों से इंतजार कर रहे युवा ओवरएज होते जा रहे है। स्थिति ये है कि वर्ष 2019 में हाईस्कूल और मिडिल स्कूल के खाली पदों को भरने के लिए एग्जाम हुए थे। इन दोनों परीक्षाओं के पात्र उम्मीदवारों को संबंधित विभाग नियुक्ति नहीं दे पा रहा है। इसके बाद वर्ष 2020 में प्रदेश में एक भी भर्ती परीक्षा नहीं हुई। वर्ष 2020-21 में कुछ भर्ती परीक्षाएं हुईं, तो वो गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की वजह से निरस्त हो गईं। कुछ भर्ती परीक्षाओं के लिए आवेदन तो बुला लिए गए, लेकिन इनकी तारीख नहीं आ पा रही है। सरकार का दावा है कि जल्द ही भर्तियों का रास्ता निकाला जा रहा है।
पंजीयन कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में वर्तमान में करीब 30 लाख 14 हजार बेरोजगार हैं। इनमें करीब 27 लाख, 55 हजार, 245 शिक्षित बेरोजगार है। प्रदेश में हर साल 85 हजार नए बेरोजगार बढ़ रहे है। जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 से अब तक प्रदेश के 73 हजार 126 युवाओं को ही सरकारी नौकरियां मिली। जबकि प्रदेश में आरक्षक के 22 हजार पद खाली है।पटवारी के 18 हजार पद खाली है। इंजीनियरों के 10 हजार पद खाली है। शिक्षकों के 40 हजार पद खाली है। क्लेरिकल के 20 हजार पद खाली है। बावजूद इसके सरकार भर्ती नहीं कर पा रही है। कांग्रेस इसके लिए बीजेपी पर हमलावर है।
बीजेपी हो या कांग्रेस चुनाव के समय पर बेरोजगारों को काम देने के बड़े वादे किए जाते है। लेकिन सत्ता में आते ही ये वादे हवा हवाई हो जाते है। बेरोजगारों को ना तो रोजगार मिलता है और ना ही बेरोजगारी भत्ता।