MP Congress discord what is the meaning of meeting in delhi

कलह की कांग्रेस…गुटों का गणित! दिल्ली में हुए मुलाकात के क्या है सियासी मायने?

कलह की कांग्रेस...गुटों का गणित! दिल्ली में हुए मुलाकात के क्या है सियासी मायने? MP Congress discord what is the meaning of meeting in delhi

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 PM IST
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Published Date: March 24, 2022 11:07 pm IST

रिपोर्ट- नवीन कुमार सिंह, भोपाल: MP Congress discord एमपी कांग्रेस की एकजुटता पर फिर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल कांग्रेस से नाराज चल रहे अरुण यादव की दिल्ली में सोनिया गांधी से करीब आधे घंटे तक मुलाकात हुई, जिसे लेकर भोपाल तक खलबली मची। बीजेपी ने जहां अरुण यादव के बहाने कांग्रेस पर जमकर तंज कसा, तो पार्टी के भीतर भी अपने विरोधियों के निशाने पर आ गए अरुण यादव। दिल्ली में हुए मुलाकात के क्या है सियासी मायने? क्या सोनिया से मुलाकात के बाद दूर होगी अरुण यादव की नाराजगी?

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MP Congress discord 2018 में 15 साल का सियासी वनवास खत्म कर सत्ता में लौटी कांग्रेस गुटबाजी की वजह से ही 15 महीने बाद विपक्ष में बैठने मजबूर हुई। बावजूद इसके पार्टी कोई सबक लेने के मूड में नहीं है। अब भी पार्टी के अंदर ही निष्ठाएं बंटी हुई हैं। एक और संगठन चुनाव के लिए सदस्यता अभियान चल रहा है, तो दूसरी ओर दिल्ली में कांग्रेस से अंसतुष्ट चल रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। बंद कमरे में आधे घंटे तक हुई मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। कांग्रेस के भीतर इस मुलाकात को लेकर खलबली है। पार्टी के भीतर अरुण यादव अपने विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं, तो बीजेपी भी अरुण यादव के बहाने कांग्रेस पर तंज कसने में पीछे नहीं है।

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दरअसल दिल्ली में हुई सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान अरुण यादव ने सुझाव दिये हैं कि कांग्रेस की मौजूदा वर्किंग के मुताबिक 2023 का विधानसभा चुनाव जीत पाना मुश्किल है, सभी गुटों को एक होना होगा। सभी बड़े नेताओं को एक साथ मिलकर रणनीति तैयार करनी होगी। पार्टी में हर वर्ग, हर अंचल के नेताओं को दोबारा एक प्लेटफॉर्म पर लाने की ज़रुरत है। बूथ तक अपनी टीम को मजबूत करना होगा। नाराज़ और घर बैठे नेताओं को पार्टी के साथ फिर जोड़ना होगा। ईमानदार कांग्रेस कार्यकर्कताओं की पहचान और उनका सम्मान ज़रुरी है। ब्लैकमेल करने वाले कांग्रेस नेताओं को चुनाव के दौरान पार्टी से बाहर करने के बजाए सख्त फैसले अभी लेने पड़ेंगे। खबर तो ये भी मिल रही है कि अरुण यादव ने तकरीबन आधे घंटे की मुलाकात के दौरान खुद के साथ हो रहे भेदभाव की भी शिकायत सोनिया गांधी से की है।

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जाहिर है कांग्रेस में अंसतुष्ट नेताओं की कतार लंबी होती जा रही है। न सिर्फ दिल्ली में बल्कि अब मध्यप्रदेश में भी विरोध की आवाज़ सुनाई देने लगी हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि अगले चुनावों के पहले पार्टी को एकजुट किया जाए, लेकिन जिस तरह से दूसरी पंक्ति के नेताओं की आलाकमान को लेकर खिलाफत तेज़ हो रही है, उसे देखकर लगता नहीं कि पार्टी के सभी नेता एक ट्रैक पर एक साथ दौड़ सकेंगे।

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